देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों की विशेष याचिका को निरस्त कर दिया है। इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने भी विधानसभा कर्मचारियों को बर्खास्त करने के विधासभा सचिवालय के आदेश को सही ठहराया गया था। बर्खास्त कर्मचारियों की ओर से विशेष अनुग्रह याचिका को सुप्रीम कोर्ट में डाला गया था जिसे खारिज कर दिया गया है। जिससे बर्खास्त कर्मचारियों को गहरा धक्का लगा है।
उत्तराखण्ड विधानसभा में नियमों के विरूद्व तदर्थ नियुक्तियों के सम्बन्ध में उच्चतम न्यायालय ने पुनः उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के फैसले को सही ठहराते हुए बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा दाखिल याचिका को मात्र डेढ़ मिनट की सुनवायी में निरस्त कर दिया है। उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनूप तिवारी ने बताया कि वर्ष 2021 में विधानसभा में तदर्थ रूप से नियुक्त 72 कर्मचारियों द्वारा दाखिल की गयी याचिका को आज उच्चतम न्यायालय की डबल बैंच के न्यायाधीश हरिकेश राय और न्यायाधीश मनोज मिश्रा द्वारा सुना गया, जिसमें डबल बैंच ने मात्र डेढ़ मिनट में ही याचिका कर्ताओं की याचिका को निरस्त कर दिया और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के फैसले का सही ठहराया है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने वर्ष 2016 से 2021 में तदर्थ अधार पर नियुक्त 228 कर्मचारियों की विशेषज्ञ जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सेवाएं समाप्त कर दी थी। भविष्य में विधानसभा सचिवालय में होने वाली नियुक्तियों में नियम व पारदर्शिता हो इसके लिए स्पीकर द्वारा नियमावली में संशोधन की पहल की गयी थी। उत्तराखण्ड विधानसभा अब सीधी भर्ती के सभी खाली पदों को उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग व उत्तराखण्ड अधीनस्त सेवा चयन आयोग के माध्यम से भरेगी। इस संशोधन के साथ शासन ने सेवा नियमावली पर सहमति जताते हुए इसे विधानसभा को लौटा दिया है।