प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को समझने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान जरूरी: राज्यपाल

देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने गुरूवार को राजभवन में संस्कृत भारती की वार्षिक पत्रिका ‘संस्कृत सुरभिः’ का विमोचन किया। संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में के लिए कार्य कर रही संस्कृत भारती की इस पत्रिका में प्रदेश में चल रही संस्कृत गतिविधियों को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है, इसके साथ ही संस्कृत के शोधपरक विचारों एवं चिंतन को भी स्थान दिया गया है। पत्रिका विमोचन के अवसर पर संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री योगेश विद्यार्थी को उनके द्वारा संस्कृत भाषा में किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सम्मानित भी किया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भारती संस्कृत भाषा को सरल-सुबोध तरीके से लोगों को संस्कृत सिखाने का कार्य कर रही है। उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करने की आवश्यकता जतायी। उन्होने कहा कि हमारी प्राचीन ज्ञान की धरोहर संस्कृत भाषा में ही है।

राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा की वाणी है भारत के प्रत्येक व्यक्ति के डीएनए में संस्कृत भाषा के विचार और धारणाएं विद्यमान है, कहा हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने जिस ज्ञान का अनुसंधान किया था, वह ज्ञान आज भी संस्कृत भाषा में हमारे पास एक धरोहर के रूप में विद्यमान है। प्राचीन ज्ञान विज्ञान को समझने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को संस्कृत भाषा का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, इस दिशा में कार्य कर रही संस्कृत भाषा भारती का कार्य प्रशंसनीय योग्य है। वह सरल संस्कृत संभाषण विधि से लोगों को संस्कृत सीखने के प्रति जागरूक कर रहे हैं। राज्यपाल ने संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिना किसी स्वार्थ की भावना से समाज में संस्कृत को जागरूक व संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए कार्य करें।

इस मौके पर संस्कृत भारती के प्रांत मंत्री ने कहा कि संस्कृत भारती ने 02 करोड़ से अधिक लोगों को संस्कृत संभाषण के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने संस्कृत भाषा पर आधारित कई अन्य जानकारियां भी दी। विमोचन के दौरान प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री, दिनेश चंद्र शास्त्री, प्रकाश पंत भी उपस्थित थे।

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