देहरादून: उत्तराखंड पिथौरागढ़ के दौलीगाड़ गांव की एक महिला ने अपनी बेटी को जन्म देते ही जंगल में छोड़ दिया। दूसरे दिन वह जंगल में देखने गई तो बेटी की सांसें थम चुकीं थीं। बताया जा रहा है कि तीसरी बेटी होने पर महिला ने इस प्रकार की निर्दयता दिखाई। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है।
बाल कल्याण समिति को दौलीगाड़ गांव के पास के जंगलों में नवजात का शव पड़े होने की सूचना मिली थी। जिसके बाद समिति के लोगों ने पुलिस को सुचना दी| जिसके बाद पुलिस घटना स्थल पहुंची तो शव नहीं मिला। जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी। पता चला कि क्षेत्र की एक गर्भवती 10 मई से अपने तीन बच्चों (दो बेटी और एक बेटा) के साथ लापता है।
महिला के गंगोलीहाट में किराये के मकान में रहने की बात पता सामने आई। पूछताछ करने पर महिला ने बताया कि छह मई को उसने गांव के जंगल में बच्ची को जन्म दिया था लेकिन बेटे की चाहत में उसने बच्ची को कपड़े में लपेटकर वहीं पर रख दिया था।
अगले दिन वह फिर से जंगल में गई लेकिन तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी इसलिए उसने कपड़े में लिपटी बच्ची को गड्ढे में रख दिया। इधर, पुलिस शनिवार को महिला को लेकर उस स्थान पर पहुंची तो वहां नवजात का शव नहीं मिला। थानाध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी की तहरीर के आधार पर थाना पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 315, 317, 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर उसका चालान कर दिया है। बताया जा रहा है कि महिला का पति चंडीगढ़ में नौकरी करता है। आजकल वह भी घर आया है। प्रेमा के तीनों बच्चे अब अपने पिता और दादी के साथ रह रहे हैं।