-नंदा गौरा योजना और महालक्ष्मी योजना का लाभ भी मिले पत्रकारों को
देहरादून: उत्तराखंड पत्रकार यूनियन की तरफ से राज्य के पत्रकारों को अनुमन्य पेंशन राशि में वृद्धि किए जाने की मांग पर सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा ये यूनियन की जायज मांग है, और सभी पत्रकारों के हित की बात है।सरकार इसे प्राथमिकता के तौर पर पूरा करेगी।
रविवार को उत्तराखंड पत्रकार यूनियन व उत्तरांचल प्रेस क्लब के एक संयुक्त प्रतिनिधमंडल ने मुख्यमंत्री से भेंट कर पत्रकारों की पेंशन वृद्धि , उत्तरांचल प्रेस क्लब का भवन निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत कराने तथा नंदा गौरा योजना व महालक्ष्मी योजना का लाभ प्रदान किए जाने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा बुजुर्ग पत्रकारों को राज्य सरकार की तरफ से वृद्धावस्था पेंशन देने की पूर्व से व्यवस्था चली आ रही है। पेंशन के रूप में माहवार रुपए 5000 की राशि पत्रकार कल्याण कोष से प्रदान किए जाने का प्रावधान है। राज्य में 99 फीसद ऐसे वास्तविक पत्रकार हैं जिनकी मुख्य वृत्ति पत्रकारिता है। सरकार की पेंशन योजना की कई अव्यवहारिक शर्तों के कारण बड़ी संख्या में वास्तविक पत्रकार अपात्र होने से पेंशन पाने से वंचित हैं। यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार 5 लाख तक की आमदनी को आयकर की छूट के दायरे में ला चुकी है ,ऐसे में उत्तराखंड में बुजुर्ग पत्रकारों की पेंशन के लिए सभी स्रोतों से 1.5 लाख की वार्षिक आय संबंधी पाबंदी पूरी तरह अव्यवहारिक है। इसे व्यवहारिक बनाने के लिए पूर्व में जारी शासनादेश में संशोधन किया जाए। हरियाणा राज्य की तरह अन्यत्र से पेंशन प्राप्ति संबंधी प्रतिबंध भी हटा दिए जाएं।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा की हरियाणा में भाजपा सरकार ने प्रावधान किया है कि संबंधित पत्रकार किसी अन्य राज्य सरकार अथवा किसी समाचार संगठन से पेंशन ले रहा हो और पेंशन की धनराशि रुपए 10,000 से कम हो तो उक्त राशि को घटाते हुए पेंशन का पात्र होगा। यूनियन ने कहा कि देश के अन्य राज्यों , जैसे हरियाणा में रुपए 10,000, महाराष्ट्र में 10,000 , तमिलनाडु में 10,000, झारखंड में 10,000 व असम में पत्रकारों को रुपए 8,000 की राशि मासिक पेंशन के रूप में दी जा रही है। मुख्यमंत्री से मांग की गई कि पत्रकारों की पेंशन रुपए 15,000 मासिक की जाए। चूंकि महंगाई में काफी वृद्धि हो चुकी है।
इसके अलावा यह भी व्यवस्था की जाए की योजना का पात्र वही पत्रकार हो जो उत्तराखंड राज्य का स्थाई निवासी हो और कम से कम पिछले 20 साल से राज्य में पत्रकारिता कर रहा हो। इस योजना में मान्यता संबंधी शर्त भी अव्यवहारिक हैं। चूंकि 90 फीसद ऐसे लोग सूचना विभाग से मान्यता प्राप्त हैं जिनका सक्रिय व वास्तविक पत्रकारिता से कोई वास्ता नही है। मान्यता की बाध्यता से उत्तराखंड मूल के वास्तविक पत्रकारों के साथ न्याय नहीं हो पाता है।
मुख्यमंत्री ने यूनियन की मांग पर सहमति व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को मामले के निराकरण के निर्देश दिए। उत्तरांचल प्रेस क्लब के भवन निर्माण के बारे में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण में प्रेस क्लब के भवन निर्माण के लिए 1 करोड़ की घोषणा की थी। इस धनराशि को प्रेस क्लब को तत्काल अवमुक्त की जाएं।
प्रेस क्लब के नए भवन की डी पी आर भी बन चुकी है और धनाभाव के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। इस मामले में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री की घोषणा की क्या प्रगति है, तत्काल बताएं और प्रेस क्लब को धनराशि जल्द से जल्द अवमुक्त करें।
नंदा गौरा योजना और महालक्ष्मी योजना के मामले में यूनियन ने कहा की इस योजना का लाभ लेने के लिए वर्तमान में अधिकतम 6 हजार रुपए मासिक आय की शर्त रखी गई है। मासिक आय की बाध्यता के कारण राज्य के कई पत्रकार इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। यूनियन की मांग है कि मासिक आय की बाध्यता को हटाए हुए राज्य के अभी श्रमजीवी पत्रकारों को योजना में शामिल किया जाए। इसमें मुख्य रूप से ऐसे पत्रकारों को शामिल किया जाए जिनका पत्रकारिता के अलावा आजीविका का अन्य कोई साधन नहीं है या जिनकी पत्नी या पति की राजकीय सेवा नहीं है। इसके लिए सूचना विभाग की मान्यता की शर्त अनिवार्य करने के बजाय राज्य में कार्यरत पंजीकृत प्रेस क्लब व मान्यता प्राप्त पत्रकार सघों से संबद्धता को आधार बनाया जाए।
प्रतिनिधिमंडल में उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी, यूनियन के संरक्षक व प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष नवीन थलेडी , यूनियन के उपाध्यक्ष आशीष ध्यानी, यूनियन के महासचिव हरीश जोशी, उत्तरांचल प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनमोहन शर्मा, यूनियन के कोषाध्यक्ष मनमीत रावत, पूर्व महामंत्री गिरिधर शर्मा, यूनियन के संगठन मंत्री विनोद पुंडीर व यूनियन के सचिव सुशील रावत आदि मौजूद थे।