देहरादून: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में कार्यरत महिलाओं ने सरकार पर आजीविका मिशन के अन्तर्गत चल रहे कार्यों में उच्च अधिकारियों पर मनमानी करने का आरोप लगाया है । उन्होंने कहा कि आजीविका मिशन के अन्तर्गत कार्य करने वाली लगभग 33 हजार महिलाऐं महज खानापूर्ति बन कर रह गयी हैं। मिशन के अन्तर्गत संचालित होने वाले सभी कार्य मात्र समूह 153 को ही दिया जा रहा है।
प्रेसवार्ता में महिलओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि आँगनवाडी़ में रसद आपूर्ति का काम हो या अम्मा भोजनालय ,या फिर आजीविका मिशन द्वारा संचालित अन्य कार्य सभी एक सैटिंग के अन्तर्गत चल रहा है। सी. डी. ओ. नीतिका खँन्डेलवाल, और परियोजना अधिकारी विक्रम सिंह अपनी मनमानी कर रहे हैं। विभाग में होने वाली नियुक्तियों को भी विभागीय लोग महज अपने चहेतों तक ही सीमित रखते हैं। विज्ञप्ति जारी करने और आवेदन करने में भारी असमानता है, बेवसाईट पर जारी फार्म अलग होता है और विभाग में अलग फार्म दिया जाता है। विभाग के अधिकारी सफेद पोषों के साथ मिल कर कई-कई सालों से एक ही जगह पर टिके रहते हैं, इनका स्थानान्तरण नहीं होता है। आजीविका मिशन कर्मी महिलाओं के धरना देने पर भी ठोस कार्यवाही नहीं हुई जिस कारण कर्मियों में भारी रोष है।
आयोजित प्रेस वार्ता में, अध्यक्ष कल्पना विष्ट, नाजमा इकबाल, प्रभा,सरिता चौहान, मीना श्रीवास्तव, नीरू, मँजू , शायरा बानो मौजूद रही।