दिल्ली: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों के अनुसार पहली बार भारत की कुल आबादी में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। बुधवार को जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़े जारी हुए। 2015-16 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में यह आंकड़ा प्रति 1000 पुरुषों पर 991 महिलाओं का था।
इसके अलावा जन्म के समय का लिंगानुपात यानी जेंडर रेश्यो में भी सुधार आया है। 2015-16 में यह प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का था। ताजा सर्वे में यह आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों पर पहुंच गया है। खास बात ये है कि कुल आबादी में लिंगानुपात शहरों के बजाय गांवों में बेहतर है। गांवों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं ही हैं।
प्रजनन दर में आयी मामूली गिरावट
पहली बार देश में प्रजनन दर 2.1 पर आ गई है। पूर्व के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में यह 2.2 थी। 2.1 की प्रजनन दर को रिप्लेसमेंट मार्क माना जाता है। इसका अर्थ है कि अगर एक दंपति दो बच्चों को जन्म दे रहे हैं, तो वो दो बच्चे उन्हें रिप्लेस कर लेंगे। 2 से कम बच्चे पैदा करने का मतलब है कि आबादी कम होने की आशंका है। 2.1 की प्रजनन दर पर आबादी की वृद्धि स्थिर बनी रहती है।
शिक्षा के क्षेत्र में है अभी सुधार की काफी गुंजाइश
सर्वे के अनुसार देश में 41% महिलाएं 10वीं कक्षा से आगे पढ़ सकीं हैं। 59% महिलाएं 10वीं से आगे नहीं पढ़ पाईं। ग्रामीण इलाकों में तो सिर्फ 33.7% महिलाएं ही 10वीं के आगे पढ़ सकीं। 5जी के दौर में भी इंटरनेट की पहुंच देश की सिर्फ 33.3% महिलाओं तक ही है।
बैंक खाता रखने वाली महिलाओं की संख्या में हुई 25% की बढ़ोत्तरी
सर्वे के मुताबिक 78.6% महिलाएं अपना बैंक खाता ऑपरेट करती हैं। 2015-16 में यह आंकड़ा 53% ही था। वहीं 43.3% महिलाओं के नाम पर कोई न कोई प्रॉपर्टी है, जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4% ही था।