देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्तियों के मामले ने तेजी पकड़ ली है I मामले में पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के साथ गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में हुई भर्तियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
इन दोनों के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में नियुक्ति पाए लोगों की सूची इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसके बाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल का कहना है कि उन्हें यह कहने में कोई परहेज नहीं है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बेटे और बहू को विधानसभा में उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी पर लगाया।
पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि मेरा बेटा बेरोजगार था, मेरी बहू बेरोजगार थी, दोनों पढ़े-लिखे थे। अगर डेढ़ सौ से अधिक लोगों में मैंने अपने परिवार के दो लोगों को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप किया। मेरे कार्यकाल में कुल 158 लोगों को विधानसभा में तदर्थ नियुक्ति दी गई थी। इनमें से आठ पद पहले से खाली थे। 150 पदों की स्वीकृति मैंने तत्कालीन सरकार से ली थी।
कुंजवाल ने सीधे-साफ शब्दों में कहा कि मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि मैंने अपनी विधानसभा के 20 से 25 लोगों को नौकरी पर लगाया था। इसके अलावा तमाम लोग भाजपा और कांग्रेस नेताओं की सिफारिश पर रखे गए थे। संविधान में अनुच्छेद 187 के तहत राज्य विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जरूरत के अनुसार विधानसभा में तदर्थ नियुक्तियां कर सकता है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि मैंने अपने तमाम रिश्तेदारों को नौकरी पर रखा, इस पर वह इतना ही कहना चाहते हैं कि हर कुंजवाल उनका रिश्तेदार नहीं है।
कुंजवाल ने प्रेमचंद्र अग्रवाल का सहयोग देते हुए कहा कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की ओर से की गई नियुक्तियों को भी वह गलत नहीं मानते हैं। उन्होंने जो भी नियुक्तियां की हैं, वह सभी वैध हैं। हां यदि कहीं इन नियुक्तियों में लेन-देन या किसी भी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी जांच होनी चाहिए।