मुख्यमंत्री धामी ने चारों धामों में तीर्थयात्रा के सफल संचालन पर प्रसन्नता जताई, कहा कपाट बंद होने तक निर्बाध चलेगी चारधाम यात्रा। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा निर्धारित परंपराओं के अनुसार होते हैं कपाट बंद। देवस्थानम बोर्ड के सदस्यों ने प्रसन्नता ब्यक्त की।
रूद्रप्रयाग/चमोली: शुक्रवार को बदरीनाथ मंदिर परिसर में विजय दशमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में इस वर्ष बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि तय हुई। तिथि की घोषणा विधि विधान से पूजा.अर्चना पंचाग गणना पश्चात रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा की गयी।
विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल हेतु शनिवार 20 नवंबर मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न. राशि में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर बंद हो जायेंगे। जबकि पंच पूजाएं मंगलवार 16 नवंबर से शुरू होंगी। पंच पूजाओं में 16 नवंबर को गणेश जी की पूजा एवं कपाट बंद,17 नंवंबर को आदिकेदारेश्वर जी कपाट बंद होंगे। 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन, वेद ऋचाओं का वाचन बंद 19नवंबर चौथे दिन मां लक्ष्मी जी का आव्हान, पांचवे दिन 20 नवंबर को कपाट बंद होंगे।
इसके साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज 6 नवंबर को समाधि पूजा के बाद मुख्य बाहरी द्वार प्रातः 8 बजे बंद हो जायेंगे। पंचमुखी डोली 6 नवंबर रामपुर 7 नवंबर गुप्तकाशी,8 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विराजमान होगी।
यमुनोत्री धाम के कपाट भी 6 नवंबर भैयादूज को दिन में बंद होंगे। मां यमुना की उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल खरसाली पहुंचेगी।गंगोत्री धाम के कपाट 5 नंवंबर को गोवर्धन पूजा अन्नकूट के अवसर पर मध्यान में बंद होंगे। मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मुखवा पहुंचेगी।
जिलाधिकारी उत्तरकाशी मयूर दीक्षित ने बताया कि गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम में यात्रा ब्यवस्थायें चाकचौबंद हैं।
वहीं अगले वर्ष यात्रा की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रतिनिधियों को पगड़ी भेंट की गयी जिनमें संजय मेहता, यमुना प्रसाद, कल्याण सिंह भंडारी, मुरली सिंह पंवार हैं। ये प्रतिनिधि दूसरे वर्ष भगवान बदरीविशाल का भंडार आदि संभालेंगे। भगवान बदरीविशाल के खजाने के साथ गरूड़ भगवान की विग्रह प्रतिमा बदरीनाथ धाम से नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी।
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन तथा मातामूर्ति सहित घ़टाकर्ण मंदिर माणा के कपाट भी शीतकाल हेतु बंद रहते है। इसके साथ ही दूसरे दिन 21नवंबर सुबह उद्वव जी, कुबेर जी एवं रावल जी सहित आदिगुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी के साथ रात्रि प्रवास हेतु योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगे।
कुबेर जी अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में तथा उद्धव जी योग बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान में हो जायेंगे जबकि 22 नवंबर को रावल जी एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान होंगे।इसके साथ ही योग बदरी पांडुकेश्वर एवं नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू होंगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर प्रसन्नता जताई कहा कि चारधाम यात्रा निर्बाध जारी रहेगी। अभी तक सवालाख से अधिक तीर्थ यात्री चारधाम एवं हेमकुंड साहिब पहुंचे है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि परंपरानुसार चारों धामों के कपाट निर्धारित समय पर बंद होंगे यह प्रसनन्ता का विषय है।देवस्थानम बोर्ड के सदस्यों ने कपाट बंद होने की तिथियां घोषित होने पर खुशी जताई। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने कहा कि चारधाम यात्रा में देश विदेश के तीर्थयात्री पहुंच रहे है।
आयुक्त गढ़वाल व मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड रविनाथ रमन ने कहा कि चारों धामों एवं पंच केदारों के कपाट बंद होने की तिथियां एवं कार्यक्रम चारधाम यात्रा का महत्त्वपूर्ण भाग है। यात्रा ब्यवस्थाओं को संजीदा किया गया है।
-पंच केदार कपाट बंद होने का कार्यक्रम
पंच केदारों में प्रसिद्ध चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट रविवार 17 अक्टूबर प्रातः 4.30 बजे ब्रह्य मुहुर्त में शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगेI रूद्रनाथ जी के आचार्य महादेव भट्ट ने यह जानकारी दी।
पंच केदारों में से द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु सोमवार 22 नवंबर को प्रातः साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद हो जायेंगे।जबकि मद्महेश्वर मेला बृहस्पतिवार 25 नवंबर को आयोजित होगा। जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट शनिवार 30 अक्टूबर को दिन 1 बजे अपराह्न शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
आज पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पुजारी.आचार्यगणों एवं पंचगाई हक.हकूकधारियों तथा देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों. कर्मचारियों की उपस्थिति में विधि.विधान पूर्वक पंचाग गणना के पश्चात कपाट बंद होने की तिथि तय की गयी। तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट बंद होने की तिथि शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में तय हुई है।
कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर जी की चलविग्रह डोली 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी, 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। 25 नवंबर को चल विग्रह डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी 25 नवंबर को मद्महेश्वर मेला आयोजित किया जायेगा।
तुंगनाथ जी की चलविग्रह डोली 30 अक्टूबर को चोपता,31 अक्टूबर को भनकुंड तथा 1 नवंबर को गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर में विराजमान होंगी इसी के साथ गद्दीस्थलों में शीतकालीन पूजा शुरू हो जायेंगी।
आयोजित कार्यक्रम के दौरान धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल एवं आचार्य वेदपाठियो द्वारा पूजा अर्चना की गयी। देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह की देखरेख एवं उपस्थिति में संपूर्ण कार्यक्रम आयोजित हुआ
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने की तिथि तय होने हेतु आयोजित सभी कार्यक्रमों में सामाजिक दूरी सहित कोरोना बचाव मानकों का पालन किया गया है।
मद्महेश्वर भगवान के कपाट बंद होने की तिथि तय करने हेतु आज विजय दशमी के अवसर पर आज आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में वेदपाठी यशोधर मैठाणी, पुजारी शिवशंकर लिंग, एवं गंगाधर लिंग, गिरीश देवली, राजकुमार नौटियाल, पुर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट, आदि मौजूद रहे। तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि निर्धारित करने के कार्यक्रम में मठापति राम प्रसाद मैठाणी, तथा मैठाणी आचार्य गण मौजूद रहे। वहीं देवस्थानम बोर्ड के सदस्य गोविंद सिंह पंवार, ग्राम प्रधान माणा पीतांबर मोल्फा, राजेंद्र चौहान, गिरीश चौहान, भूपेंद्र रावत, कृपाल सनवाल आदि भी मौजूद रहे।