–उत्तराखण्ड के 25 वर्ष के स्वरूप पर विचार श्रृंखला में विषय विशेषज्ञों ने रखे अपने विचार
देहरादून: मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्थापना के दो दशक के बाद उत्तराखण्ड युवा राज्य बन चुका है। पिछले दो दशकों में राज्य के विकास के लिये सतत् प्रयत्न किये गये हैं, जिनका असर धरातल पर दिखाई भी दे रहा है। इन दशकों में राज्य के विकास का आधारभूत ढ़ांचा बनाने के लिये भी कई पहलुओं पर प्रयोग हुए हैं। प्रदेश के सर्वागीण विकास के लिये एक दूरगामी योजना बनाने के लिये समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों एवं विषय विशेषज्ञों को सहयोगी बनाने का हमारा प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लोगों ने देश व दुनिया में अनेक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा एवं योग्यता से अपनी पहचान बनायी है। हमारा प्रयास है कि समाज के अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुंचे, विकास में उसकी भागीदारी सुनिश्चित हो, इसके लिये राज्य के सर्वागीण विकास की रूपरेखा के निर्धारण में विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों एवं प्रबुद्धजनों को सहयोगी बनाये जाने का हमारा प्रयास है। इसके लिये इस विचार श्रृंखला की शुरूआत की गई है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बोधिसत्व विचार श्रृंखला के मंथन से निकलने वाला अमृत राज्य के लिये हितकारी होगा। उन्होंने कहा कि विचार श्रृंखला में प्राप्त सुझावों के आधार पर कार्ययोजना तैयार की जायेगी।
इस विचार श्रृंखला में जिन विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार एवं सुझाव दिये उनमें पदम कल्याण सिंह रावत, डॉ. दिनेश असवाल निदेशक भाभा परमाणु अनुसंधान, प्रो. अन्नपूर्णा नोटियाल कुलपति हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, मानवेन्द्र सिंह नेगी संस्थापक मन्दाकिनी आवाज, सुधीर पंत, फिक्की फार स्टार्टअप, प्रहलाद सिंह अधिकारी तकनीकि विशेषज्ञ, डॉ. किशन सिंह राणा, ग्रामीण विकास, डॉ. सिद्धार्थ पाटनी सामुदायिक स्वास्थ्य, प्रो. जे.के.जोशी, प्रो. एस.ए.हामिद भाषा एवं साहित्य विशेषज्ञ प्रमुख रहे।
कार्यक्रम के संयोजन एवं मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रो. दुर्गेश पंत ने बताया कि इस सम्बन्ध में इस माह के अन्तिम सप्ताह में बृहद स्तर पर सेमिनार का भी आयोजन किया जायेगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों नीति आयोग के सदस्यों के साथ अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जायेगा।