विपक्ष ने उठाए बजट पर सवाल, कहा घोषणाओं के बल पर फुलाया खाली लिफाफा

देहरादून: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को आम बजट पेश किया। बजट में अलग-अलग सेक्टरों को लेकर कई ऐलान किए गए हैं। जिसको लेकर पक्ष-विपक्ष ने अपनी राय साँझा की है I इसके साथ ही विपक्ष की ओर से बजट पर सवाल खड़े किये गये है I

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार का आखिरी बजट उस खाली लिफाफे की तरह है, जिसे घोषणाओं के बल पर फुलाया गया है। उन्होंने केंद्रीय बजट को निराशाजनक बताया है।

पूर्व सीएम ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात तो छोड़ दीजिए, किसानों की आमदनी में कितनी वृद्धि हुई, यह बताने में भी बजट असफल साबित हुआ है।

कहा कि निम्न व मध्यम वर्ग और वेतनभोगियों को इनकम टैक्स में एक ऐसी राहत दी गई है, जिस राहत के बलबूते पर वह निरंतर बढ़ती हुई महंगाई का सामना नहीं कर पाएंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाएं जो दलितों, पिछड़ों, कमजोर वर्गों के लिए संचालित की जाती हैं, उनकी बजट में कमी की गई है। मनरेगा के बजट में भी कटौती की गई है। बढ़ती हुई बेरोजगारी को साधने के कोई उपाय बजट में दृष्टिगत नहीं होते हैं। महंगाई इस बजट के बाद और बढ़ेगी।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि बजट में शिक्षा बजट घटाकर 2.64 % से 2.5 % करना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वास्थ्य बजट घटाकर 2.2 % से 1.98 % करना हानिकारक है। बढ़ती बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा, गगनचुंबी महंगाई और छोटे मझोले उद्योगों के अस्तित्व पर संकट इन सबके लिए बजट में कुछ भी नहीं है।

मध्यम वर्ग के लिए शहद में लिपटी कड़वी गोलिया

कृषि, पब्लिक हेल्थ, शिक्षा, मनरेगा, फ़ूड सिक्यूरिटी व सामाजिक सरोकारों, जन कल्याण के बजट आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में कम किए गए है। जो किसान-मजदूर, गरीबों, पिछड़ों, दलितों आदिवासियों के लिए खतरे की घंटी है।

उन्होंने कहा कि बजट में मध्यम वर्ग को शहद में लिपटी कड़वी गोलियों के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला है। आयकर सुधार उस नयी व्यवस्था में है, जिसमें छूट देने के प्रावधान नहीं है। अमृत काल में उद्योगपतियों को और रियायतें दी हैं, लेकिन असंगठित क्षेत्र की उपेक्षा जारी है। बजट 2023 से महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी का बढ़ना तय है।

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