देहरादूनः राजधानी देहरादून के बी0एस0 नेगी महिला पॉलीटैक्निक द्वारा ओएनजीसी परिसर में शनिवार शाम चार सितम्बर को अध्यापक दिवस की पूर्व संध्या पर स्व. परमानन्द शास्त्री द्वारा 70 वर्ष पूर्व रचित पर्वतीय नारियों की वेदना और जीवन दर्शन पर आधारित नारी खण्ड काव्य का विमोचन किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में दून विश्व विद्यालय की प्रथम महिला कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल व श्रीदेव सुमन विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. पीताम्बर ध्यानी शामिल हुए । समारोह में उत्तराखंड की प्रमुख महिला साहित्यकार तथा जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया।
नारी काव्य के रचयिता स्व. परमानंद शास्त्री पंजाब विश्व विद्यालय, लाहौर जो अब पाकिस्तान में है, से स्वर्णपदक प्राप्त स्नातक थे। परमानंद शास्त्री अपने जीवनकाल में अपने साहित्य को प्रकाशित नहीं करवा सके। तत्कालीन टिहरी रियासत के सुदूर घनशाली नैलचामी क्षेत्र में वर्ष 1921 में जन्में शास्त्री जी एक आदर्श अध्यापक के रूप में विख्यात हुए और उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त शिष्यों के पूजनीय रहे। जिनके अनुरोध पर उनकी इस कालजयी रचना नारी का प्रथम संस्कण 1994 में प्रकाशित हुआ था।
तब संस्कृत निष्ठ हिन्दी भाषा में रचित इस काव्य की प्रतियॉं हाथो हाथ बिक गई। जिसे कई विद्धानों की सम्मतियों और समीक्षा के साथ द्वितीय संस्करण के रूप समयसाक्ष्य द्वारा मुद्रित किया गया हैं।
पर्वतीय संस्कृति की ध्वजवाहक प्रसिद्ध संस्कृति कर्मी डा. माधुरी बर्थवाल सहित श्रीमती कमला पंत तथा कथाकार श्रीमती सुधा जुगरान, डा. नंद किशोर हटवाल व डा. शिवदयाल जोशी ने नारी पुस्तक पर बेजोड़ समीक्षा लिखी है।
समीक्षकों द्वारा नारी काव्य को समय से आगे की कविता, नारी जीवन का प्रमाणिक दस्तावेज, या नारी का जीवन दर्शन आदि विशेषणों से संवारा गया है। कुछ समीक्षकों द्वारा इसे छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद की छायावाद की विधा के समकक्ष बताया गया है।
नारी काव्य के प्रथम संस्करण की भूमिका प्रसिद्ध पर्यावरणविद पद्म विभूषण स्व.सुन्दर लाल बहुगुणा द्वारा वर्ष 1994 में लिखी गयी थी। जिसमें उन्होंने काव्य को चिपको आन्दोलन के बीज रूप की संज्ञा दी और इसे लोक चेतना का सशक्त माध्यम बताया था।
जहां आज के तालिबानी युग में महिलायें और बच्चे प्रताड़नाओं के साये में जी रहे है वही भारतीय संस्कृति में नारी हमेशा ही एक सम्मान जनक स्थान पाती रही है।
लोकार्पण समारोह में वक्ताओं, श्रोताओं और पाठकों के बीच इस गुमनाम काव्य के महत्व पर संवदेनशील चर्चा हुयी। जो काव्य जगत और हिन्दी साहित्य के गुमनाम रचनाकारों के लिये मील का पत्थर होगी।
समारोह में महिला पॉलीटेक्निक के चेयरमेन हर्षमणि व्यास, डा. शिव दयाल जोशी, डा. नन्द किशोर हटवाल, पूर्व दूरदर्शन निदेशक सुभाष थलेड़ी, डा. गीता बलोदी तथा स्व. इंद्रमणी बडोनी के सहयोगी बालकृष्ण नौटियाल मौजूद रहे।
विधा के समकक्ष बताया गया है।