Mahadeepam Dispute: पवन कल्याण बोले— ‘हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा’, सनातन रक्षा बोर्ड की वकालत तेज

महादीपम विवाद पर पवन कल्याण का पलटवार, बोले— हिंदू परंपराओं पर लगातार हो रहे हमले, हर हिंदू को उठानी चाहिए आवाज

तमिलनाडु के तिरुपरमकुंद्रम पहाड़ी पर ‘कार्तिगई दीपम’ जलाने को लेकर शुरू हुआ विवाद अब गहराता जा रहा है। मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने चार दिसंबर को श्रद्धालुओं को दीप जलाने की अनुमति देते हुए सीआईएसएफ को सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए थे। इस निर्णय के बाद राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है।

इसी बीच आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना प्रमुख पवन कल्याण ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख दिखाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देशभर में लगातार हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है और उनकी प्राचीन परंपराओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल उनका नहीं, बल्कि हर हिंदू का दायित्व है कि वह अपनी आस्था और रीति-रिवाजों की रक्षा के लिए आगे आए।


“हर मौके पर हिंदू परंपराओं पर सवाल” — पवन कल्याण

पवन कल्याण ने बयान देते हुए कहा कि कुछ समूह और राजनीतिक दल जानबूझकर हिंदू परंपराओं को विवादित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां भी सनातन धर्म पर हमला हो— चाहे वह तमिलनाडु, असम या पश्चिम बंगाल में हो— वहां हिंदुओं को एकजुट होकर विरोध दर्ज कराना चाहिए।

कल्याण ने ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ की स्थापना पर भी जोर दिया, ताकि हिंदू परंपराओं और मंदिरों की सुरक्षा संस्थागत रूप से सुनिश्चित की जा सके।


न्यायाधीश पर महाभियोग की मांग पर सवाल

तिरुपरमकुंद्रम विवाद में मद्रास हाई कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा हिंदू समुदाय के अधिकार में फैसला सुनाए जाने के बाद 100 से अधिक सांसदों द्वारा संसद में उस न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की मांग उठाई गई।
इस पर पवन कल्याण ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर मामले में फैसला सुनाया था, तब हिंदुओं ने अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन किसी न्यायाधीश को निशाना नहीं बनाया गया।

उन्होंने कहा कि संविधान सभी धर्मों को समान अधिकार देता है और न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश उचित नहीं है।


DMK सरकार पर ‘मंदिर मामलों में हस्तक्षेप’ का आरोप

पवन कल्याण ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार पर मंदिरों के प्रबंधन और धार्मिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल ‘छद्म धर्मनिरपेक्षता’ के नाम पर हिंदू परंपराओं को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।


पूरा मामला क्या है?

दरगाह के पास स्थित मंदिर में ‘कार्तिगई दीपम’ जलाने की अनुमति निचली अदालत ने दी थी, जिसे मद्रास हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा।
तमिलनाडु सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसंबर को इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है।


“हिंदू एकजुट नहीं, इसलिए भ्रम लगता है कि वे बहुसंख्यक हैं”

अपने बयान में पवन कल्याण ने कहा कि जाति, भाषा और क्षेत्रीयता के आधार पर हिंदू अंदर ही अंदर बंटे हुए हैं, जिसके कारण वे संगठित होकर अपनी आस्था की रक्षा नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि मंदिर जाने वाले हर श्रद्धालु और सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति को राजनीतिक अवसरवाद की पहचान कर उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

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