आदि गुरु शंकराचार्य मठस्थली पर भी मंडराया भू-धंसाव का खतरा

देहरादून: जोशीमठ भू धंसाव की चपेट में आदि गुरु शंकराचार्य मठस्थली भी आने लगी है। यहां स्थापित शिव मंदिर करीब छह इंच धंसने के साथ शिवलिंग में भी दरारें आ गई हैं। वहीं पौराणिक कल्पवृक्ष का अस्तित्व भी खतरे में नजर आ रहा हैI मंदिर के ज्योर्तिमठ का माधवाश्रम आदि शंकराचार्य ने बसाया था। यहां देशभर से विद्यार्थी वैदिक शिक्षा व ज्ञानार्जन के लिए आते हैं।

आदि गुरु शंकराचार्य मठस्थली के भीतर ही शिवमंदिर है। इस मंदिर में वर्ष 2000 में एक शिवलिंग जयपुर से लाकर स्थापित किया गया था। मंदिर के पुजारी श्री वशिष्ठ ब्रहम्चारी ने बताया कि पिछले करीब 12-13 माह से यहां धीरे-धीरे दरारें आ रहीं थीं, जिन्हें सीमेंट लगाकर रोकने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन पिछले सात-आठ दिन में हालात बिगड़ने लगे हैं।

मंदिर करीब छह से सात इंच नीचे की ओर धंस चुका है। दीवारों के बीच गैप बन गया है, जिससे बाहर की रोशनी आ रही है। मंदिर में जो शिवलिंग विराजमान है, पहले उस पर चंद्रमा के आकार का निशान था जो कि अब अचानक बढ़ गया है। मंदिर के भीतर लगी टाइलें भी उखड़ गई हैं। 

इसके अलावा यहाँ मौजूद पौराणिक कल्पवृक्ष की जड़ों के आसपास भी दरारें पढने से भू-धंसाव होने की संभावना बनी हुई हैं, जिससे कि अब कल्पवृक्ष के अस्त्तित्व पर भी ख़तरा मंडरा रहा हैI बताया जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इसी वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या की थीI

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