देहरादून: लोक निर्माण विभाग में विभागीय संविदा पर कार्यरत कनिष्ठ अभियन्ताओं ने रविवार को अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर गांधी पार्क से मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए कूच किया गया।
इससे पूर्व सभी अभियंताओं ने गांधी पार्क में एकत्र होकर सभा की। जिसके बाद सभी ने अपनी मांगो को लेकर नारों के साथ जलूस निकालते हुए राजपुर रोड से हाथीबड़कला होते हुए मुख्यमंत्री आवास के लिए कूच किया।
इस दौरान सर्वे ऑफ इंडिया के गेट के पास पुलिस ने सड़क पर बैरिकेड लगाकर उन्हें रोक दिया। जिसके बाद अक्रोषित अभियंता वहीं सड़क पर बैठ गए।
इस मौके पर आंदोलन कर रहे अभियंताओं की रैली को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी संबोधित किया साथ ही उनकी मांगों को जायज बताते हुए अपना पूर्ण समर्थन देने की बात कही। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी अभियंताओं के आंदोलन को अपना समर्थन दिया। वहीं पीडब्ल्यूडी मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष सुभाष देवयाल ने भी रैली में पहंुचकर अपना समर्थन दिया।
इस दौरान अभियंताओं ने आरोप लगाया कि युवा मुख्यमंत्री के तथाकथित सलाहकार उन्हें गुमराह कर रहे हैं। आरोप लगाया कि वो लोग युवा अभियंताओं की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके चलते उनकी जायज मांगों को नही माना जा रहा है।
आंदोलित अभियंताओं ने कहा कि इन युवाओं ने 7 से 12 वर्षो तक जीवन के स्वर्णिम समयकाल को इस राज्य के विकास में लगा दिया, राज्य से पलायन ना कर अल्पवेतन में राज्य की सेवा करना चुना, मगर सरकारों ने केवल शोषण ही किया। कहा कि सरकारों की अनदेखी के कारण आज ये युवा अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
बताया कि प्रधानमंत्री कल देहरादून में जिन योजनाओं का लोकार्पण कर रहे थे, उन योजनाओं को शिलान्यास से लोकार्पण तक पहुंचाने में इन अभियंताओं का अभूतपूर्व योगदान है। सरकार इनके कार्यों से वाहवाही तो लेती है मगर इनके भविष्य निर्माण के लिए कोई सकारात्मक कदम अभी तक नहीं उठा सकी।
अभियंताओं का कहना है कि आज अभियंताओं की अनिश्चितकालीन हड़ताल का २०वां दिन है, अभियंताओं के हड़ताल पर चले जाने के कारण पहाड़ो में विकास कार्यों पर बुरा असर पड़ रहा है, सारे विकास कार्य ठप्प पड गये हैं। जनप्रतिनिधियों ने भी अभियंताओं की मांगों पर विभाग पर दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया है, उनका भी कहना है कि विभागीय संविदा कनिष्ठ अभियंताओं की मांगों को सरकार को अतिशीघ्र माना लेना चाहिए।
कहा कि पहाड़ों में कई नए कार्यों की स्वीकृतियां जो शासन ने दी थीं उन में कोई कार्य प्रारंभ नहीं हो पाए हैं। सारे कार्य ठप पड़े हैं। जबकि विधानसभा चुनावों का समय नजदीक है सरकार की योजनाएं धराशाई होती दिख रही हैं।
आंदोलन कर रहे अभियंताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार द्वारा अभी भी उनकी मांगों पर सकारामत्मक कार्यवाही नहीं होती है तो, अभियंता मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष भूखड़ताल ओर आत्मदाह करने पर मजबूर होंगे। जिसकी जिम्मेदारी सरकार व शासन की होगी।