जोशीमठ: उत्तराखंड में मॉनसून सक्रिय होने के बाद से जोशीमठ के लोग सहमे और डरे हुए हैं। 6 महीने पहले नगर में पड़ी दरारों के कारण मॉनसून आने के बाद लोगों के मन में डर बैठा है। वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ में ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम अच्छा न होने के कारण नगर में दरारें पड़ी थीं। पानी का रिसाव होने के कारण इन दरारों ने विकराल रूप धारण कर लिया और कई लोगों को बेघर कर दिया था। अब बरसात शुरू होने के कारण इन दरारों में बरसात का पानी भर रहा है। बरसात का पानी भरने से दरारें और मोटी व चौड़ी होती जा रही हैं।
चौंकाने वाली बात ये है कि वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट आने के 6 माह बाद भी जोशीमठ के सीवरेज और ड्रेनेज पर किसी प्रकार का काम नहीं हुआ बल्कि जो नगर के प्रमुख नाले इस आपदा के दौरान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे, वह अभी तक क्षतिग्रस्त ही पड़े हुए हैं। इस कारण बरसात के साथ-साथ उन नालों और गदेरो का पानी भी लोगों के घरों में और खेत खलिहानो में घुसकर उन्हें बर्बाद कर रहा है।
इस आपदा के दौरान नगर में क्षतिग्रस्त हुए तमाम नालों और नालियों की मरम्मत के लिए सिंचाई विभाग की ओर से शासन को 73 करोड़ की कार्ययोजना भेजकर पैसा मांगा गया लेकिन पैसा स्वीकृत नहीं होने की वजह से काम अटका हुआ है।
अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग ने कहा कि जैसे ही पैसा स्वीकृत होगा वैसे ही नाले और नालियों को सही करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। नगर में 8 ऐसे महत्वपूर्ण बड़े नाले हैं जिनसे नगर की संपूर्ण जल निकासी होती है लेकिन इस आपदा के चलते इन्नालू से जुड़ी सभी नालियां और यह नाले खुद भी क्षतिग्रस्त हैं जिस कारण भूमि में पानी रिसाव की समस्या बढ़ गई है।