ISRO की उड़ान योजना: मार्च 2026 तक सात अंतरिक्ष मिशन, गगनयान का पहला मानवरहित प्रक्षेपण तय

नई दिल्ली।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आगामी महीनों के लिए एक व्यापक और महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन योजना तैयार की है। इसरो मार्च 2026 तक कुल सात प्रक्षेपण मिशन अंजाम देगा। इन अभियानों में गगनयान कार्यक्रम का पहला मानवरहित मिशन, स्वदेशी इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन प्रणाली का परीक्षण, क्वांटम डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक से जुड़े वैज्ञानिक प्रयोग और व्यावसायिक संचार उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल रहेगा। इस क्रम में पहला लॉन्च अगले सप्ताह किए जाने की संभावना जताई जा रही है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद में जानकारी देते हुए बताया कि भारत का सबसे शक्तिशाली और भारी प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 (LVM-3) अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के ब्लूबर्ड-6 संचार उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। यह प्रक्षेपण इसरो की व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ हुए समझौते के तहत किया जाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक लॉन्च बाजार में भारत की मौजूदगी और मजबूत होगी।

मंत्री के अनुसार, एलवीएम-3 रॉकेट अगले वर्ष की शुरुआत में गगनयान परियोजना के पहले मानवरहित मिशन के लिए उड़ान भरेगा। इस मिशन के तहत ‘व्योममित्रा’ नामक ह्यूमनॉइड रोबोट को क्रू मॉड्यूल में भेजा जाएगा, ताकि मानव अंतरिक्ष उड़ान से पहले सभी प्रणालियों, सुरक्षा मानकों और संचालन प्रक्रियाओं का परीक्षण किया जा सके। इसके बाद वर्ष 2026 में एक और मानवरहित गगनयान मिशन प्रस्तावित है, जबकि वर्ष 2027 में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजने की तैयारी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान का पहला मानवरहित मिशन पूरी मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रक्रिया का व्यावहारिक प्रदर्शन होगा। इसमें मानव-रेटेड प्रक्षेपण यान की एयरोडायनामिक विशेषताओं का आकलन, ऑर्बिटल मॉड्यूल का सफल संचालन, क्रू मॉड्यूल की पुनः प्रवेश प्रक्रिया और समुद्र में उसकी सुरक्षित रिकवरी जैसे अहम चरण शामिल रहेंगे।

इसके अलावा, अगले वर्ष इसरो भारत में निर्मित पहला पीएसएलवी भी लॉन्च करेगा। इस मिशन के जरिए ओशियनसैट उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसी उड़ान में इंडो-मॉरीशस संयुक्त उपग्रह और निजी अंतरिक्ष कंपनी ध्रुव स्पेस का लीप-2 उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन सात प्रस्तावित मिशनों के माध्यम से इसरो न केवल गगनयान के जरिए मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाएगा, बल्कि उन्नत तकनीकों, वैज्ञानिक प्रयोगों और व्यावसायिक साझेदारियों के जरिए वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की भूमिका को और सशक्त करेगा।

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