नैनीताल: चमोली रैणी आपदा के मृतकों के परिजनों को मुआवजा ने दिए जाने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। मृतकों के परिजनों को मुआवजा न देने व मुआवजा देने के मानक तय न करने पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
चमोली के रैणी गांव मे ग्लेशियर फटने के दौरान आई आपदा के दौरान घायल और मृतकों के परिजनों को अब तक मुआवजा ना देने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चैहान की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है।
साथ ही मामले में केंद्र सरकार समेत राज्य सरकार को मामले पर अपना विस्तृत जवाब शपथ-पत्र के माध्यम से एक में पेश करने के आदेश दिए हैं। वहीं, मामले में सुनवाई के दौरान एनटीपीस के द्वारा कोर्ट में जवाब पेश कर कहा गया है कि 7 फरवरी को आई आपदा के दौरान मरे और लापता 84 लोगों का मुआवजा सीजेएम गोपेश्वर के पास जमा करा दिया गया है।
वहीं, याचिकाकर्ता के द्वारा कोर्ट को बताया गया कि हाइड्रो प्रोजेक्ट डैम में कर्मचारियों के सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है कर्मचारी को केवल हेलमेट और बूट दिए जाते हैं और कर्मचारियों को आपदा से लड़ने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई और ना ही कर्मचारियों के लिए कोई उपकरण मौजूद है। ताकि आपदा के समय में कर्मचारी अपनी जान बचा सके।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि एनटीपीसी व कुंदन ग्रुप के ऋषि गंगा प्रोजेक्ट का नक्शा कंपनी के द्वारा आपदा के बाद उपलब्ध नहीं कराया गया, जिस वजह से राहत व बचाव कार्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लिहाजा, इन सभी के खिलाफ अपराधिक कार्रवाई भी होनी चाहिए।
सात फरवरी रविवार को सुबह करीब 10.30 बजे के आस-पास रैणी गांव के ऊपर ग्लेशियर टूटा। इस हादसे के बाद से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में हिमस्खलन और बाढ़ के चलते आसपास के इलाकों में तबाही मचनी शुरू हो गई। ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया था। हादसे में कई लोगों की जान चली गई।
राज्य आंदोलनकारी पीसी तिवारी ने दायर की याचिका
बता दें कि अल्मोड़ा निवासी राज्य आंदोलनकारी पीसी तिवारी के द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड के चमोली के रैणी गांव में फरवरी माह में ग्लेशियर फटने जैसी आपदा सामने आई थी। जिसमें कई लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए और राज्य सरकार के द्वारा अब तक किसी भी घायल व मृतक के परिवार को मुआवजा नहीं दिया गया है और ना ही राज्य सरकार के द्वारा मुआवजा वितरित करने के लिए मानक बनाए गए हैं।