देहरादून: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 में समलैंगिक विवाह पर औपनिवेशिक युग के प्रतिबंध को खत्म करने के बाद प्रदेश में पहली बार दो समलैंगिक युवकों को कोर्ट से सुरक्षा व्यवस्था के बीच विवाह करने की अनुमति मिल गई है। हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर जिले के दो समलैंगिक युवकों के विवाह के लिए पुलिस को सुरक्षा देने के आदेश जारी किये हैं।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की संयुक्त खंडपीठ में यह आदेश जारी किया गया है| कोर्ट ने रुद्रपुर के थाना प्रभारी को दोनों समलैंगिक युवकों को पुलिस सुरक्षा देने मामले से जुड़े विपक्षियों को नोटिस जारी कर न्यायालय में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि ऊधमसिंह नगर के दो युवक लंबे समय से एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और अपने अटूट प्रेम को विवाह बंधन में बांधना चाहते थे। इसके लिए दोनों युवकों ने शादी का फैसला किया, लेकिन घरवालों से सहमति न मिलने और विरोध की संभावना को देखते हुए दोनों युवकों ने उच्च न्यायालय की शरण ली और पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की गुहार लगाई थी।
दोनों की ओर से दायर की गई याचिका में बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने इस तरह की शादी को मान्यता दी है। उनकी भावनाएं और इच्छाएं भी सामान्य लोगों की तरह होती हैं। याचिका में यह भी बताया गया कि 2017 की रिपोर्ट के आधार पर विश्व के 25 देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है। हालांकि, 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अपराध माना था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस आदेश को पलटते हुए अपने आदेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन को आवश्यक बताया है।