देहरादूनर: देवस्थानम बोर्ड को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सूबे में सत्तासीन भाजपा सरकार पर सवाल खड़े किये हैं। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर उनके द्वारा की गई एक पोस्ट में पूछा सरकार बताये बोर्ड के बनने के बाद कितनी प्रगति हुई है। कहा क्या सिर्फ आय के लिए पुरानी पंरपरा को बदला गया है। यदि ऐसा है तो यह न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा इसके कुछ पक्ष में, लेकिन बड़ी संख्या विरोध मेंखड़ी है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भाजपा की सरकार पिछले दो साल से राज्य के लोगों को यह नहीं समझा पाई कि बोर्ड के माध्यम से मंदिरों की व्यवस्था में किस तरह का सुधार आएगा। और राज्य को इससे क्या फायदा होगा। उन्होंने ने कहा कि केवल जिद से सरकारें नहीं चलती हैं। इसके पीछे चार धाम यात्रा को सुगम और सुचारु बनाने की सोच होनी चाहिये थी। वहीं स्थानीय लोगों का हित सर्वोपरी होना चाहिये था। कहा आपने एक प्रयोग किया और यदि उस प्रयोग के नतीजे लाभकारी नहीं दिखाई दे रहे हैं तो राज्य की जनता पर अपने विचार के निर्णय को थोपना राज्य सरकार के लिए उचित नहीं है। । हरीश रावत ने कहा कि अभी तक मैं यह नहीं समझ पाया हूं कि देवस्थानम बोर्ड बनने से कौन सा क्रांतिकारी परिवर्तन चारधाम यात्रा में आया है। उनका कहना है कि क्या इस बोर्ड का गठन सिर्फ सरकार की आय के लिए किया गया है।
वहीं उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार को इसपर सलाह देते हुए कहा है कि पहले से ही मंदिर कमेटियां बनी हुई हैं, आप उनकी फंक्शनिंग को और सुधार लीजिये। आय अर्जन के लिए कुछ और तरीके निकाल करके, उन तरीकों को मंदिर कमेटी और पुरोहितगणों की संस्था के साथ मिलकर के क्रियान्वित करिए।
बता दें कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था। जिसे लेकर हक हकूत धारियों से लेकर तीर्थ पुरोहितों व अन्य लोगों ने भी विरोध किया। मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा। अभी भी बोर्ड को लेकर विवाद जारी है। इस मामले में कांग्रेस शुरू से ही पुरोहितों और हक हकूक धरियों के पक्ष में खड़ी नजर आई।