देहरादून : नैनीताल हाईकोर्ट ने हरिद्वार में हुई धर्म संसद के नाम पर साधु-संतों के भड़काऊ भाषण देने के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को 25 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए है I
बता दे कि 17 से 19 दिसंबर तक हुई धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषण मामले में शहर कोतवाली में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के खिलाफ 22 दिसंबर को पहला मुकदमा दर्ज हुआ था।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ के समक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरि की याचिका पर सुनवाई की गयी I स्वामी प्रबोधानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी।
दो जनवरी 2022 को ज्वालापुर हरिद्वार निवासी नदीम अली ने हरिद्वार कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी शिकायत दर्ज कर उन्होंने कहा कि साधु संतों ने 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया था। धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आह्वान किया गया। आरोप था कि समुदाय विशेष की आस्थाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है। इस मामले की जांच कर पुलिस ने नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अश्वनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और स्वामी प्रबोधानंद गिरि के खिलाफ धर्म संसद के नाम पर भड़काऊ भाषण देने पर आईपीसी की धारा 153, 295 तहत मुकदमा दर्ज किया था।