फतेहपुर। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने फतेहपुर दौरे के दौरान कहा कि विशेष पहचान अभियान (एसआईआर) के तहत देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान की जा रही है, इसलिए इसका विरोध करना उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग घुसपैठ कर देश में आए हैं, उन्हें बाहर निकालने का कार्य सरकार की ओर से किया जा रहा है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है।
सोमवार को फतेहपुर पहुंचीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सरस्वती बालिका विद्या मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। कार्यक्रम के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को किट वितरित की गईं, महिलाओं को पोषण किट दिए गए तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सम्मानित भी किया गया।
आंगनबाड़ी व्यवस्था पर बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्र सबसे महत्वपूर्ण आधार हैं, लेकिन लंबे समय तक इन पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि बड़े शैक्षणिक संस्थानों और प्रशासनिक भवनों में सभी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन छोटे बच्चों के लिए बनाए गए केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा। इसी कमी को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
राज्यपाल ने बताया कि वर्ष 2019 में पदभार संभालने के बाद आंगनबाड़ी और प्राथमिक विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान यह सामने आया कि अभी काफी कार्य किया जाना बाकी है। बजट की सीमाओं को देखते हुए जनसहयोग से पहल शुरू की गई, जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि अब तक प्रदेश के करीब 50 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में 22 से 25 हजार रुपये मूल्य के लगभग 22 प्रकार के आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
अपने संबोधन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बेटियों के स्वास्थ्य को लेकर एचपीवी (HPV) वैक्सीनेशन अभियान का भी जिक्र किया। उन्होंने जिला अधिकारी से कहा कि जनसहयोग के माध्यम से सरस्वती विद्या मंदिर और कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में अध्ययनरत सभी पात्र छात्राओं को प्राथमिकता के आधार पर यह टीका लगाया जाए। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस महानिदेशक और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि पुलिस कॉलोनियों में रहने वाली 9 से 15 वर्ष आयु की बच्चियों की सूची तैयार कर उनका टीकाकरण सुनिश्चित कराया जाए।
राज्यपाल ने कहा कि पुलिसकर्मी चौबीसों घंटे जनता की सुरक्षा में तैनात रहते हैं, इसलिए उनके परिवारों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी समाज और सरकार की है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य बेटियों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाना और उन्हें एक सुरक्षित व स्वस्थ भविष्य प्रदान करना है।