गौरव वासुदेव
देहरादून: आखिरकार चर्चित जेपी जोशी प्रकरण में दिल्ली पटियाला कोर्ट ने 10 दिसम्बर को बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों को 7 साल की सजा के साथ ही 50-50 हज़ार का जुर्माना भी लगाया।
बता दें 2013 में तत्कालीन अपर सचिव जेपी जोशी पर आईना रॉय नाम की महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और दिल्ली के पांडुनगर थाने में जोशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी जिसके बाद जेपी जोशी ने भी देहरादून के बसंत विहार थाने में महिला के साथ ही 4 अन्य लोगों पर ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज करवाया था।
पूरे मामले पर सरकार ने एसआईटी से जांच करवाई थी। एसआईटी की कमान एसपी ममता वोहरा को दी गयी थी। इस हाई प्रोफाइल प्रकरण की जांच में शामिल एसपी ममता वोहरा उप निरीक्षक सुनील पंवार उप निरीक्षक किरन उप निरीक्षक संत सिंग जियाल और कॉन्स्टेबल आशीष शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जांच के दौरान सभी तथ्यों को खंगालकर अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी।
पहले तो ये मामला एक बड़े अधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न का लग रहा था मगर जब कोर्ट ने हर बयान हर गवाह हर सबूत को गहनता से सुना और जांचा तो इस केस ने 360 डिग्री का मोड़ ले लिया।
जे पी जोशी के जाने माने वकील एस के धर ने बताया कि इस प्रकरण में कोर्ट ने उत्तराखंड पुलिस द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की बारीकी से की गई जांच रिपोर्ट को महत्पूर्ण माना जिसकी वजह से दोषियों को सज़ा सुनाई गई।
उत्तराखंड पुलिस की तरफ से एसओजी में तैनात कॉन्स्टेबल आशीष शर्मा को इस कार्य के लिए नियुक्त किया गया था,जिसमे 32 से ज्यादा मोबाइल नंबर औऱ 3 हज़ार पन्नो से ज्यादा की कॉल डिटेल्स बारीकी से खंगाल के कोर्ट के सामने रखी गयी और ये मामला योन उत्पीड़न का नही बल्कि ब्लैकमेलिंग का साबित हुआ,और कोर्ट ने दोषियों को सज़ा सुनाई। 8 साल तक चले इस मामले ने उत्तराखंड पुलिस की कार्यशैली का लोहा एक बार फिर मनवाया है।