देहरादून: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में बर्खास्त डॉ कफील ने सम्मान के साथ नौकरी वापस पाने की मांग की है। उन्होंने यूपी सरकार से मांग करते हुए कहा है कि उनकी बर्खास्तगी जल्द रद्द की जाए। मेरे खिलाफ लगाए गए चिकित्सीय लापरवाही के आरोप निराधार पाए गए हैं।
डॉक्टर कफील ने कहा मुझे अभी तक नहीं पता कि किन आरोपों में बर्खास्त करने का फैसला लिया गया है। उनका कहना है कि मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसके बावजूद यह फैसला लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे बर्खास्त करने के पीछे कारण बताया गया कि मैं आठ अगस्त 2016 तक प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहा था। और इंसेफलाइटिस वार्ड का प्रभारी था। जबकि मुझे इस पद के लिए कभी नियुक्त ही नहीं किया गया। हालांकि मेरे प्रयासों को देखते हुए भ्रष्टाचार के आरोप हटा लिए गए हैं।
डॉक्टर कफील ने कहा कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने अपनी जांच में स्वीकार किया कि छुट्टी के बावजूद उस रात मैं अस्पताल पहुंचा। वहीं सीमा सुरक्षा बल ने भी स्वीकारा कि मैं उनसे मदद मांगने गया था। इस मामले में कई जांच समितियों से हरी झंडी मिलने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। जबकि इस केस में अन्य आठ आरोपियों को बहाल कर दिया गया है।
वहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई सात दिसंबर को होनी है। डॉक्टर कफील का कहना है कि वह इंसाफ के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। बताया कि आरटीआई से उन्होंने कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की, जिसको उन्होंने जांच में प्रस्तुत किया है।
डॉ.कफील के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल के अपने फैसले में स्वीकार किया था कि आपूर्ति में व्यवधान के कारण लिक्विड ऑक्सीजन की कमी हुई थी। जिसकी वजह ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता को बकाया राशि का भुगतान न करना था।