देहरादून: सड़क चौड़ीकरण की प्रक्रिया में घोटाले से जुडा मामला सामने आया है। आईएसबीटी से अजबपुर रेलवे क्रॉसिंग तक मार्ग चौड़ीकरण का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए फर्म द्वारा फर्जी बैंक गारंटी दिखाई गई। सात अगस्त को कंपनी ने मुंबई के बैंक की 77 लाख 70 हजार बैंक गारंटी का प्रमाण जमा कराया। पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर डोईवाला को यह बैंक गारंटी दी गई। बैंक गारंटी की पुष्टि किए बिना ही नौ अगस्त को फर्म को कार्य प्रारंभ होने और पूर्ण होने की तिथि से अवगत करा दिया गया ।
जानकारी के मुताबिक़ मार्ग चौड़ीकरण के कार्य के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा इसी वर्ष 25 फरवरी को 42 करोड़ 55 लाख 84 हजार रुपये की धनराशि को स्वीकृति दी गई थी। विभाग ने इसके लिए 26 मार्च को टेंडर निकाले और 11 मई को टेंडर खोले गए , जिसमे अनुमानित लागत से 23.66 प्रतिशत कम 25 करोड़ 90 लाख रुपये में टेंडर डालकर दिल्ली की मैसर्स राकेश कुमार एंड कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट अपने नाम कर लिया। सबसे कम लागत होने के चलते इस कंपनी को ही काम दे दिया गया। जिसके बाद पीडब्ल्यूडी की ओर से कंपनी को तीन जुलाई को लैटर ऑफ एक्सेप्टेंस(स्वीकृति पत्र) दे दिया गया।
इस दौरान दोनों इंजीनियरों एसई रणजीत सिंह और ईई ओम पाल सिंह का ट्रान्सफर हो गया। उनके पदों पर आए दूसरे इंजीनियरों ने जब बैंक गारंटी के परीक्षण की रिपोर्ट देखी और जांच की तो पता चला कि यह बैंक गांरटी गलत है। यह सूचना आला अधिकारियों को दी गई तो उन्होंने इसकी प्राथमिक जांच कराई।
जांच में फर्म के फर्जी बैंक गारंटी जमा करने का मामला स्पष्ट हो गया। इसी जांच के आधार पर शासन ने बैंक गारंटी परीक्षण में लापरवाही और वित्तीय अनियमितता के आरोप में एसई रणजीत सिंह और ईई ओम पाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।