चमोली: छह माह के लिए बंद हुए लाटू देवता मंदिर के कपाट, बैसाख की पूर्णिमा को दोबारा होंगे दर्शन
चमोली जिले के वाण गांव स्थित पौराणिक लाटू देवता मंदिर के कपाट गुरुवार को वार्षिक परंपरा के तहत आगामी छह माह के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के इस विशेष आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे और मंदिर परिसर में लाटू देवता के जयकारों की गूंज सुनाई देती रही।
सुबह नियमित पूजा-अर्चना के बाद दोपहर एक बजे मंदिर के पुजारी खीम सिंह नेगी ने परंपरागत तरीके से आंखों पर पट्टी बांधकर गर्भगृह में प्रवेश किया। निर्धारित अनुष्ठान पूरा करने के बाद गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए गए। मंदिर समिति द्वारा इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद भी वितरित किया गया।
पुजारी खीम सिंह नेगी ने बताया कि वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, अब मंदिर के कपाट बैसाख की पूर्णिमा के दिन पुनः खोले जाएंगे। श्रद्धालुओं ने कपाट बंद होने से पहले देवता से सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया।
मंदिर के गर्भगृह का रहस्य आज भी अनसुलझा
लाटू देवता मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और रहस्यमयी गर्भगृह के लिए प्रसिद्ध है। यहां पुजारी को ही गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति होती है, वह भी आंखों पर पट्टी बांधकर। श्रद्धालुओं को गर्भगृह से लगभग 15 मीटर दूर रुककर ही दर्शन करने की अनुमति दी जाती है। मंदिर के अंदर वास्तव में क्या है, यह वर्षों से लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
अब श्रद्धालु छह महीने बाद बैसाख की पूर्णिमा पर लाटू देवता के पवित्र दर्शन कर सकेंगे।