देहरादून: प्रदेश में देवस्थानम बोर्ड को भंग किये जाने के फैसले को राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सरकार द्वारा जनहित में लिया गया फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला तीर्थ पुरोहितों की मांग को देखकर लिया गया है, न कि चुनाव में हार जाने के डर से।
उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड भंग होने पर राज्यसभा सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल बलूनी ने कहा कि सरकार ने ये बोर्ड तीर्थ-पुरोहितों के हित के लिए बनाया था लेकिन उनके एतराज पर इसे वापस ले लिया हैI
उत्तराखंड में तीर्थ-पुरोहित के आंदोलन के बाद देवस्थानम बोर्ड को सरकार ने भंग कर दिया है. बोर्ड के भंग होने पर राज्यसभा सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल बलूनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उत्तराखंड की धामी सरकार के इस पहल का वो स्वागत करते है. क्योंकि बीजेपी सरकार हमेशा जनहित में काम करती है. हमने इस बोर्ड की स्थापना वहां के पंडा और पुरोहितों के हित को ध्यान में रखकर किया था लेकिन अगर उन्हें ही इस बोर्ड से ऐतराज है. तो सरकार ने उसे वापस ले लियाI
वहीं देवस्थानम बोर्ड को लेकर हरीश रावत के बयान पर उन्होंने कहा कि वो हमेशा जीत हार की गणित में लगे रहते हैं. लेकिन बीजेपी कभी जीत हार के गणित में नहीं रहती. वो जनहित में बात करती है और जनहित में ही फैसले लेती है. बीजेपी जनता को साथ लेकर चलती है. और उनके विकास के लिए काम करती हैI
अनिल बूलानी ने कहा कि हम कभी चुनाव से घबराकर या चुनाव को ध्यान में रखकर कोई काम नहीं करते हैं, हम जो भी काम करते हैं वो जनहित को ध्यान में रखकर करते हैं. इसलिए ये कहना कि 2022 के चुनाव को ध्यान में रखकर ये फैसला लिया गया है बिल्कुल गलत होगा. सरकार ने पंडों पुरोहितों के हित में ही ये बोर्ड बनाया था, लेकिन जब उन्हें भी इस बोर्ड की जरूरत नहीं है तो इस बोर्ड को वापस लेने का काम सरकार ने किया हैI