2018 हादसा: ठाणे एमएसीटी ने मृतक के परिवार को 40.08 लाख मुआवजा देने का आदेश, बीमा कंपनी और चालक के दावे खारिज

ठाणे एमएसीटी का बड़ा आदेश: सड़क हादसे में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को 40.08 लाख का मुआवजा, सभी विरोधी तर्क निरस्त

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मोटर अपघात दावा अधिकरण (MACT) ने 2018 में हुए सड़क हादसे में मारे गए एक व्यक्ति के परिवार के पक्ष में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अधिकरण ने मृतक के आश्रितों को 40.08 लाख रुपये मुआवजे के रूप में प्रदान करने का आदेश दिया। अदालत ने इस मामले में ड्राइवर और बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत सभी दलीलों को खारिज कर दिया।


ऐसे हुआ था 2018 का हादसा

घटना 17 नवंबर 2018 की है।
मृतक दौलत वामन दवाने (38), जो पेशे से प्लंबर थे, मुंबई-नाशिक हाईवे की सर्विस रोड पर खड़े थे।
इसी दौरान तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी, जिसके बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस ने दुर्घटना के बाद चालक के खिलाफ आईपीसी और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था।


अदालत ने किन साक्ष्यों को माना विश्वसनीय?

सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश व एमएसीटी ठाणे की अध्यक्ष केपी श्रीखांदे की पीठ ने की।
अदालत ने निम्न साक्ष्यों को प्रमाणिक माना—

  • मृतक की पत्नी दर्शना दवाने की गवाही
  • एफआईआर
  • घटनास्थल पंचनामा
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट

इन दस्तावेजों के आधार पर अदालत ने स्पष्ट माना कि हादसा चालक की लापरवाही के कारण हुआ।


बीमा कंपनी और चालक के दावे खारिज

बीमा कंपनी ने तर्क दिया था कि—

  • मृतक की ओर से भी गलती थी
  • चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था

लेकिन अदालत ने इन दावों को मानने से इनकार कर दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता की गवाही पर किसी प्रकार का प्रश्न नहीं उठाया गया, इसलिए दुर्घटना के तथ्य साफ और विश्वसनीय हैं।


मुआवजा राशि कैसे तय हुई?

अदालत ने यह माना कि मृतक—

  • प्लंबर के रूप में 10,000 रुपये प्रतिमाह
  • टेंट व्यवसाय से 10,000 रुपये प्रतिमाह
    कमाते थे।

इसी आधार पर आश्रितों का आर्थिक नुकसान 37.80 लाख रुपये आंका गया।
इसके बाद 20% का अतिरिक्त लाभ जोड़कर कुल मुआवजा 40,08,000 रुपये निर्धारित किया गया।


ब्याज के साथ मिलेगी राशि

एमएसीटी के आदेश में कहा गया है कि मुआवजा राशि—

  • 9% वार्षिक ब्याज
    के साथ दी जाएगी।
    ब्याज की गणना याचिका दाखिल करने की तारीख से की जाएगी।

यह फैसला मृतक के परिवार के लिए न्याय और राहत का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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