Supreme Court News: हिरासत में हिंसा और मौतों पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी—कहा, यह सिस्टम पर धब्बा, देश अब नहीं करेगा बर्दाश्त
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पुलिस हिरासत में होने वाली हिंसा और मौतों को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ये घटनाएं देश की न्याय व्यवस्था पर एक गंभीर दाग हैं और अब देश इन्हें किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उन राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों पर नाराजगी जताते हुए की, जिन्होंने CCTV इंस्टॉलेशन पर कोर्ट के पुराने आदेशों का पालन नहीं किया।
क्या है मामला?
अदालत देशभर के पुलिस थानों और जांच एजेंसियों के दफ्तरों में CCTV कैमरे सही तरह से न चलने पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है। इस दौरान कोर्ट का ध्यान राजस्थान में आठ महीनों में हुई 11 हिरासत मौतों की ओर भी गया, जिस पर न्यायालय ने गहरी चिंता जताई।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने टिप्पणी की—
“हिरासत में मौतें और हिंसा सिस्टम पर धब्बा हैं। ऐसी घटनाएं अब देश स्वीकार नहीं करेगा।”
केंद्र पर तीखे सवाल—रिपोर्ट क्यों नहीं?
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिरासत में मौत किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराई जा सकती। इसके बावजूद कोर्ट इस बात से नाराज हुआ कि केंद्र ने अभी तक अपना अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं किया है।
पीठ ने कड़ा सवाल उठाया—
“केंद्र सरकार इस अदालत को गंभीरता से क्यों नहीं ले रही?”
इसके बाद केंद्र ने तीन हफ्तों में हलफनामा दायर करने का आश्वासन दिया।
CCTV इंस्टॉलेशन में ढिलाई पर नाखुश कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 और 2020 में आदेश दिया था कि—
- सभी पुलिस थानों
- CBI, ED, NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियों
में हाई-क्वालिटी CCTV कैमरे और रिकॉर्डिंग सिस्टम लगाए जाएं।
लेकिन अब तक—
- सिर्फ 11 राज्यों ने ही अपनी रिपोर्ट जमा की
- कई राज्यों व केंद्र के विभागों ने कोई जानकारी नहीं दी
- सिर्फ तीन केंद्रीय एजेंसियों में CCTV पूरी तरह लगाया गया है
यह धीमी प्रगति कोर्ट के लिए बेहद चिंताजनक रही।
मध्य प्रदेश की कार्यशैली की प्रशंसा
सुनवाई में कोर्ट ने मध्य प्रदेश की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य ने अनुकरणीय काम किया है। वहां—
- हर थाने और चौकी को
- जिला कंट्रोल रूम से
लाइव सिस्टम के जरिए जोड़ा गया है, जिसे मजबूत मॉडल बताया गया।
अमेरिका मॉडल और ओपन एयर जेल का जिक्र
सुनवाई में अमेरिका की जेल व्यवस्था का उदाहरण सामने आया, जहां—
- CCTV की लाइव स्ट्रीमिंग
- और निजी जेलें
सामान्य हैं।
सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि CSR फंड से निजी जेलों के निर्माण का सुझाव भी कभी आया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह पहले से ओपन एयर जेल मॉडल पर सुनवाई कर रहा है, जो जेलों की भीड़ और हिंसा कम करने का एक विकल्प हो सकता है।
कड़ी चेतावनी—3 हफ्ते में रिपोर्ट दें, वरना अधिकारी होंगे तलब
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे—
- तीन हफ्तों के अंदर अपनी अनुपालन रिपोर्ट जमा करें
- ऐसा न करने पर संबंधित राज्य/यूटी के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा
- केंद्रीय एजेंसियों की लापरवाही पर उनके निदेशकों को बुलाया जाएगा
अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी, और तब तक सभी को अपनी-अपनी रिपोर्ट हर हाल में जमा करनी होगी।