Supreme Court: CJI बीआर गवई रिटायर, 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत लेंगे भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ

Supreme Court: CJI बीआर गवई आज हुए रिटायर; 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत लेंगे भारत के 53वें नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई शुक्रवार को अपने अंतिम कार्यदिवस के साथ विधिक सेवा के 40 वर्ष पूरे कर रिटायर हो गए। सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर-1 में भावुक माहौल के बीच उन्होंने न्यायपालिका में अपने चार दशक लंबे सफर को याद करते हुए कहा कि वह स्वयं को जीवनभर न्याय का विद्यार्थी मानते रहेंगे।

गवई ने कहा कि अदालत में सहयोगियों, वकीलों और न्यायपालिका के सभी सदस्यों के प्रति उनके मन में गहरी कृतज्ञता है। उन्होंने कहा—
“जब मैं इस अदालत कक्ष से आखिरी बार बाहर जाऊंगा, तो इस संतोष के साथ जाऊंगा कि मैंने देश के लिए अपनी क्षमता के अनुसार पूरा योगदान दिया।”

उन्होंने वकील, हाईकोर्ट जज, सुप्रीम कोर्ट जज और अंततः भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की यात्रा को याद करते हुए इसे जीवन का सबसे संतोषजनक अध्याय बताया।


24 नवंबर को 53वें CJI के रूप में शपथ लेंगे जस्टिस सूर्यकांत

मुख्य न्यायाधीश गवई के निवृत्त होने के बाद जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। उनका शपथ ग्रहण समारोह रविवार, 24 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित होगा।

इस ऐतिहासिक अवसर पर भूटान, केन्या, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस और ब्राजील समेत कई देशों के मुख्य न्यायाधीश उपस्थित रहेंगे। यह वैश्विक भागीदारी भारतीय न्यायपालिका की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा का संकेत मानी जा रही है।


लंबित मामलों के निपटारे पर होगा नए CJI का फोकस

शपथ ग्रहण से पहले मीडिया से बातचीत में जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि उनके कार्यकाल की शीर्ष प्राथमिकता लंबित मामलों का त्वरित निपटारा होगी। उन्होंने कहा कि वे ऐसे पुराने मामलों की पहचान कर प्रक्रिया को तेज करेंगे, जिन्हें वर्षों से सुनवाई की प्रतीक्षा है।

जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि हाईकोर्ट भी संवैधानिक अदालत है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले सभी अपीलों को हाईकोर्ट से होकर गुजरना चाहिए।


न्यायपालिका को अधिक आधुनिक और पारदर्शी बनाने पर जोर

नए CJI ने कहा कि आने वाले समय में न्यायपालिका में कई आधुनिक सुधार किए जाएंगे। उनकी प्राथमिकताएं होंगी—

  • पुराने लंबित मामलों की छंटनी और त्वरित निपटारा
  • अदालतों में डिजिटल प्रणाली को और मजबूत बनाना
  • न्यायिक प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समयबद्ध बनाना
  • बेंच की दक्षता और मामलों के वितरण को बेहतर करना

उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में सुधार केवल तकनीकी नहीं, बल्कि प्रशासनिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होंगे।

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