किशोरों की अभद्र भाषा और डिजिटल व्यवहार पर CBSE की चेतावनी
हरिद्वार।
किशोर छात्रों के बीच तेजी से बढ़ रही गाली-गलौज और आपत्तिजनक भाषा के उपयोग को लेकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने गंभीर चिंता जताई है। बोर्ड के क्षेत्रीय समन्वयक और डीपीएस हरिद्वार के प्रधानाचार्य डॉ. अनुपम जग्गा ने अभिभावकों को पत्र जारी कर बच्चों की भाषा, व्यवहार और ऑनलाइन कंटेंट उपभोग पर कड़ी निगरानी रखने की अपील की है।
स्कूलों में भाषा के स्तर में गिरावट, बच्चों के व्यवहार में बदलाव
डीपीएस हरिद्वार के 7,000 से अधिक छात्रों के अध्ययन के आधार पर तैयार रिपोर्ट में पाया गया कि कई किशोर अपने साथियों से बातचीत में अभद्र शब्दों का उपयोग कर रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ कि—
- छात्रों की बोलचाल में अनुचित भाषा के प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ी है
- ऑनलाइन अनुपयुक्त सामग्री साझा करने के मामले बढ़ रहे हैं
- साथी छात्रों को परेशान करने और मज़ाक उड़ाने की घटनाएं सामने आई हैं
स्कूल प्रशासन द्वारा ऑन-कैमरा निरीक्षण में कई छात्रों की भाषा और व्यवहार गंभीर रूप से आपत्तिजनक पाए गए।
OTT सामग्री और सोशल मीडिया बना बड़ा कारण
डॉ. जग्गा ने बताया कि OTT प्लेटफॉर्म पर प्रसारित वेब सीरीज और अनियंत्रित सोशल मीडिया उपयोग किशोरों की भाषा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।
पिछले एक दशक में बातचीत में अभद्र भाषा शामिल होना सामान्य होता जा रहा है, जो शिक्षण संस्थानों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
अनुशासन और पढ़ने की संस्कृति पर जोर
उन्होंने अपने पत्र में IIT छात्रों की दिनचर्या का उल्लेख करते हुए बताया कि वे प्रतिदिन 6–8 घंटे स्वाध्याय करते हैं और किताबों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को पढ़ने में समय देते हैं।
डॉ. जग्गा का कहना है कि ऑनलाइन समय में कटौती ही अनुशासन और अध्ययन को मजबूत बना सकती है।
अभिभावकों को CBSE की अहम सलाहें
CBSE की ओर से भेजे गए पत्र में अभिभावकों को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं—
- बच्चों से नियमित चर्चा करें कि वे ऑनलाइन क्या देख रहे हैं और क्या साझा कर रहे हैं।
- उन्हें सम्मानजनक और विनम्र भाषा का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चों को समझाएं कि हर ऑनलाइन टिप्पणी उनका स्थायी डिजिटल रिकॉर्ड बनती है।
- घर में डिवाइस-फ्री क्षेत्रों का निर्धारण करें, खासकर भोजन और सोने के समय।
- सोशल मीडिया उपयोग पर निगरानी रखें, साथ ही भरोसा भी बनाए रखें।
- स्क्रीन-टाइम कम कर खेल, पढ़ने और सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा दें।
- बच्चों में संवेदनशीलता, सम्मान और सकारात्मक शब्दों के उपयोग की आदत विकसित करें।