उत्तराखंड में आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए तेज़ हुई सरकारी तैयारी, सभी विभागों को 48 घंटे में भेजनी होगी रिपोर्ट
देहरादून। उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए शासन ने गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसी क्रम में बुधवार को सचिवालय में सभी विभागों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई, जिसमें दो दिनों के भीतर कार्ययोजना सौंपने के निर्देश दिए गए। बैठक का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप राज्य के लिए एक विस्तृत एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार करना है, जिसमें कुत्तों के प्रबंधन और पुनर्वास से संबंधित सभी पहलू शामिल होंगे।
सभी विभाग देंगे सुझाव, एसओपी बनाने की जिम्मेदारी पशुपालन बोर्ड को
सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा निर्देशों के बाद मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राज्य की एसओपी तैयार करने का कार्य पशुपालन बोर्ड को सौंपा है। बैठक में ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, नगर विकास, कृषि एवं अन्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। सभी विभागाध्यक्षों से कहा गया कि आवारा कुत्तों पर नियंत्रण, उनके पुनर्वास और सुरक्षित प्रबंधन के लिए दो दिनों के भीतर लिखित सुझाव उपलब्ध कराएं।
बैठक में सामने आए प्रमुख सुझाव
बैठक के दौरान मौखिक रूप से कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए, जिनमें शामिल हैं—
- पकड़े गए कुत्तों की पहचान और टैगिंग
- बड़े पैमाने पर टीकाकरण और नसबंदी अभियान
- शेल्टर हाउस एवं अस्थायी पुनर्वास केंद्रों की स्थापना
- शहरों में निर्धारित फीडिंग प्वाइंट की व्यवस्था
- एनजीओ के सहयोग से डॉग अडॉप्शन कार्यक्रम को बढ़ावा
- आवारा कुत्तों का सुरक्षित स्थानांतरण
- निगरानी और मासिक रिपोर्टिंग तंत्र को मजबूत करना
इन सभी सुझावों को अंतिम एसओपी में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।
अन्य राज्यों ने तैयार कर ली एसओपी, अब उत्तराखंड की बारी
जानकारी के अनुसार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों ने पहले ही अपनी-अपनी एसओपी तैयार कर ली हैं। राजस्थान ने नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्वास के लिए विस्तृत दिशानिर्देश भी जारी कर दिए हैं। अब उत्तराखंड भी इसी मॉडल पर एक व्यापक राज्य-स्तरीय एसओपी तैयार कर रहा है।
नगर विकास विभाग भी निभाएगा अहम भूमिका
शहरी विकास निदेशक विनोद गिरी गोस्वामी ने बताया कि आवारा कुत्तों के प्रबंधन में नगर विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि एसओपी लागू होने से कुत्तों के बढ़ते आतंक पर न सिर्फ नियंत्रण पाया जा सकेगा, बल्कि उनके मानवीय और सुरक्षित पुनर्वास की भी ठोस व्यवस्था की जा सकेगी।