UP News: सपा विधायक सुधाकर सिंह का लखनऊ में निधन, घोसी और सपा संगठन में छाया मातम
मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक सुधाकर सिंह का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके बेटे डॉ. सुजीत सिंह ने पिता की मृत्यु की पुष्टि की, जिसके बाद घोसी से लेकर लखनऊ तक शोक की लहर फैल गई।
दिल्ली से लौटने के बाद बिगड़ी तबीयत
सूत्रों के अनुसार, 17 नवंबर को दिल्ली में मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी के रिसेप्शन में शामिल होकर लौटने के बाद सुधाकर सिंह की तबीयत अचानक खराब हुई। स्वास्थ्य में गिरावट आने पर परिजनों ने उन्हें मंगलवार को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों की टीम लगातार इलाज कर रही थी। मगर गुरुवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
पिछले कुछ दिनों से थे अस्वस्थ
डॉ. सुजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता की तबीयत लंबे समय से ठीक नहीं थी। जब उनकी स्थिति अधिक गंभीर हुई, तो उन्हें तुरंत लखनऊ ले जाया गया। डॉक्टरों ने हरसंभव प्रयास किए, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
उपचुनाव में शानदार जीत
सुधाकर सिंह हाल ही में हुए 2023 के घोसी उपचुनाव में भारी बहुमत के साथ जीतकर सुर्खियों में आए थे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को बड़े अंतर से हराया था। यह मुकाबला प्रदेश राजनीति में सबसे चर्चित उपचुनावों में से एक रहा, जिसमें सुधाकर सिंह की जीत को सपा के लिए बड़ी उपलब्धि माना गया।
2022 में टिकट कटने के बाद भी नहीं छोड़ा साथ
2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने उन्हें पहले टिकट दिया था, लेकिन अंतिम समय पर टिकट काटकर दारा सिंह चौहान को उम्मीदवार बना दिया था। इसके बावजूद सुधाकर सिंह पार्टी से जुड़े रहे और संगठन की गतिविधियों में पूरी सक्रियता से भाग लेते रहे। उनकी इसी निष्ठा को देखते हुए सपा ने 2023 के उपचुनाव में उन्हें फिर से प्रत्याशी बनाया और उन्होंने शानदार जीत दर्ज की।
घोसी क्षेत्र में मजबूत पकड़
सुधाकर सिंह घोसी और आसपास के इलाकों में एक जमीन से जुड़े, सरल और जनहित के मुद्दों पर काम करने वाले नेता के रूप में पहचाने जाते थे। उनकी लोकप्रियता और संगठन पर पकड़ के कारण वे क्षेत्र में सपा का सबसे मजबूत चेहरा थे।
राजनीतिक हलकों में शोक की लहर
उनके निधन की खबर फैलते ही स्थानीय लोगों, कार्यकर्ताओं और सपा नेतृत्व में दुख की लहर दौड़ गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि घोसी विधानसभा ने अपना एक अनुभवी और प्रभावशाली जनप्रतिनिधि खो दिया है।