दिल्ली-NCR से गंगा मैदानी क्षेत्र तक हवा में ज़हर: AQI 800 तक पहुंचा, हर दिन 18–20 सिगरेट पीने जितना असर; जीवन-प्रत्याशा 8 साल कम होने का खतरा

दिल्ली-NCR और सिंधु-गंगा मैदानी क्षेत्र में खतरनाक स्तर पर प्रदूषण, हवा हर दिन 18–20 सिगरेट के बराबर

उत्तरी भारत इन दिनों भयावह वायु प्रदूषण की गिरफ्त में है। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय रिपोर्टों के ताजा विश्लेषण बताते हैं कि दिल्ली-NCR, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हो चुके हैं। कई शहरों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 400 से 800 के बीच दर्ज किया गया, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है। विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रदूषण इतना जहरीला है कि हर व्यक्ति प्रतिदिन 18–20 सिगरेट के बराबर दूषित हवा अपने शरीर में ले रहा है।


वैश्विक रिपोर्ट का खुलासा: 54 करोड़ लोग सांस ले रहे अत्यधिक प्रदूषित हवा

शिकागो विश्वविद्यालय की AQLI 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की उत्तर बेल्ट—विशेषकर दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, लखनऊ, पटना और गंगा मैदानी शहर—दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जोन बन गए हैं। कई शहरों में AQI 700 से भी ऊपर पहुंचा है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों में स्वास्थ्य जोखिम कई गुना बढ़ गया है।

विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि यह स्थिति बनी रही तो स्वस्थ व्यक्तियों को भी लंबे समय में गंभीर फेफड़े और हृदय संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।


सिंधु-गंगा मैदानी क्षेत्र में क्यों फंस जाता है प्रदूषण?

सिंधु-गंगा की यह विशाल पट्टी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम-मध्य-पूर्वी यूपी, उत्तराखंड का तराई क्षेत्र, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक फैली है। यहीं अमृतसर, लुधियाना, चंडीगढ़, दिल्ली, आगरा, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, पटना और कोलकाता जैसे प्रमुख शहर आते हैं।

मुख्य कारण

  • अत्यधिक जनसंख्या घनत्व
  • तेज़ी से बढ़ता शहरीकरण और औद्योगिक विस्तार
  • वाहनों का भारी बोझ
  • निर्माण कार्य और धूल-धुआं
  • फसल अवशेष जलाना (स्टबल बर्निंग)
  • भौगोलिक संरचना, जिसमें हिमालय हवा को उत्तर की ओर बढ़ने नहीं देता

विशेषज्ञ बताते हैं कि हिमालय एक प्राकृतिक दीवार की तरह काम करता है। प्रदूषित हवा आगे नहीं बढ़ पाती और मैदानी क्षेत्रों में ही फंस जाती है। इसी कारण यहां AQI अक्सर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।


8 वर्ष तक घट सकती है जीवन-प्रत्याशा

AQLI और WHO की रिपोर्टों के अनुसार यदि प्रदूषण का यह स्तर जारी रहा तो उत्तर भारत में रहने वाले करोड़ों लोगों की औसत जीवन-प्रत्याशा 8 वर्ष तक कम हो सकती है। WHO ने भी चेतावनी दी है कि दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में से 12 भारत में हैं, ज्यादातर उत्तरी क्षेत्र में।

विशेषज्ञों ने बताया कि दिल्ली-NCR सहित पूरे उत्तर भारत में बढ़ते प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक धुआं, निर्माण गतिविधियां और धूल-कण जिम्मेदार हैं।

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