बिहार चुनाव परिणाम: अखिलेश यादव की 25 जनसभाओं का असर सीमित, सिर्फ 4 सीटों पर मिली जीत
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में राजद को कुल 25 सीटों पर जीत मिली, लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा किए गए चुनाव प्रचार का प्रभाव सीमित रहा। अखिलेश ने बिहार में महागठबंधन के लिए 25 विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाएं कीं, जिनमें से केवल चार सीटों पर ही महागठबंधन को जीत हासिल हो सकी। इस आधार पर उनका स्ट्राइक रेट मात्र 16 प्रतिशत रहा।
दिलचस्प तथ्य यह है कि राजद ने भी कुल 25 सीटें जीती हैं और अखिलेश ने भी कुल 25 सीटों पर प्रचार किया। हालांकि, दोनों सूचियों में से सिर्फ चार सीटें—रघुनाथपुर, बोधगया, रफीगंज और बिसफी—ऐसी रहीं जहाँ अखिलेश ने प्रचार किया और राजद उम्मीदवारों की जीत भी हुई। यानी, सपा अध्यक्ष के प्रचार वाले क्षेत्रों में राजद की जीत का औसत भी 16 प्रतिशत ही रहा।
अखिलेश यादव ने एसआईआर पर लगाया चुनावी खेल का आरोप
चुनाव परिणाम आने के बाद अखिलेश यादव ने बिहार में महागठबंधन की हार के लिए एसआईआर (SIR) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर के जरिए चुनावी खेल किया गया, जिसकी वजह से महागठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि इस चुनावी साजिश का पर्दाफाश हो चुका है और अब यह तरीका पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में काम नहीं करेगा।
उन्होंने कहा, “सीसीटीवी की तरह हमारा पीपीटीवी यानी पीडीए प्रहरी चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा। भाजपा कोई दल नहीं, छल है। वह हर स्तर पर बेईमानी कर सत्ता पर कब्जा बनाए रखना चाहती है।”
किन-किन सीटों पर कीं अखिलेश ने जनसभाएं?
अखिलेश यादव का प्रचार कार्यक्रम 1 नवंबर से 8 नवंबर तक चला। इस दौरान उन्होंने बिहार के अलग-अलग जिलों में लगातार सभाएं कीं। यहां उनकी जनसभाओं का पूरा विवरण है:
1 नवंबर
- बहादुरपुर (दरभंगा)
2 नवंबर
- सरायरंजन (समस्तीपुर)
- सीतामढ़ी
- छपरा (सारण)
3 नवंबर
- कल्याणपुर (पूर्वी चंपारण)
- रघुनाथपुर (सीवान)
- महाराजगंज (सीवान)
- भभुआ (कैमूर)
4 नवंबर
- दिनारा (रोहतास)
- गोह (औरंगाबाद)
- बेलागंज (गया)
- बोधगया (गया)
5 नवंबर
- नवादा
- जमुई
- बेलहर (बांका)
- नाथनगर (भागलपुर)
6 नवंबर
- मोतिहारी (पूर्वी चंपारण)
- रुन्निसैदपुर (सीतामढ़ी)
7 नवंबर
- नोखा (रोहतास)
- रफीगंज (औरंगाबाद)
8 नवंबर
- धमदाहा (पूर्णिया)
- फुलपरास
- झंझारपुर
- राजनगर
- बिसफी (मधुबनी)
निष्कर्ष
बिहार चुनाव में अखिलेश यादव ने भले ही जोरदार प्रचार अभियान चलाया हो, लेकिन चुनाव परिणामों में उनकी जनसभाओं का प्रभाव सीमित दिखाई दिया। महागठबंधन की हार पर उठ रहे सवालों के बीच अखिलेश यादव एसआईआर को जिम्मेदार बता रहे हैं, जबकि भाजपा पर चुनावी बेईमानी के गंभीर आरोप भी लगाए जा रहे हैं।