भारत ब्राजील के उष्णकटिबंधीय वन कोष में बना पर्यवेक्षक, विकसित देशों से जलवायु प्रतिबद्धताएं पूरी करने की अपील

बेलेम (ब्राजील) |
भारत ने वैश्विक जलवायु कार्रवाई को मजबूती देते हुए ब्राजील की नई अंतरराष्ट्रीय पहल ‘ट्रॉपिकल फॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF)’ में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हो गया है। यह पहल दुनिया के उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।

ब्राजील के बेलेम शहर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-30) के दौरान भारत ने पेरिस समझौते (Paris Agreement) के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि विकसित देशों को अब कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु वित्त (Climate Finance) से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियां पूरी करनी चाहिए।


🌱 ब्राजील की पहल को भारत का समर्थन

ब्राजील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने COP-30 सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि भारत, ब्राजील द्वारा शुरू की गई ‘टीएफएफएफ (TFFF)’ पहल का समर्थन करता है, क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय वनों की रक्षा और जलवायु संतुलन की दिशा में सामूहिक वैश्विक प्रयास का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते की 10वीं वर्षगांठ के मौके पर यह पहल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक ठोस और ऐतिहासिक कदम है।


⚖️ विकसित देशों को निभानी होगी अपनी जलवायु जिम्मेदारी

राजदूत भाटिया ने कहा कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए लगातार ठोस कदम उठा रहे हैं, जबकि कई विकसित देशों ने अब तक अपने वादे पूरे नहीं किए हैं।
उन्होंने कहा —

“जिन देशों ने ऐतिहासिक रूप से वैश्विक कार्बन बजट का सबसे ज्यादा उपयोग किया है, उन्हें अब उत्सर्जन में कमी लाकर और विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देकर अपनी वास्तविक जिम्मेदारी निभानी चाहिए।”

भारत ने यह भी कहा कि पेरिस समझौते के 10 वर्ष बाद भी वैश्विक जलवायु महत्वाकांक्षा पर्याप्त नहीं है, इसलिए विकसित देशों को जल्द और ठोस कदम उठाने होंगे।


💰 न्यायसंगत और रियायती जलवायु वित्त की मांग

भारत ने सम्मेलन में यह दोहराया कि समानता, राष्ट्रीय परिस्थितियों और साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांतों पर आधारित जलवायु कार्रवाई ही प्रभावी और टिकाऊ हो सकती है।
राजदूत भाटिया ने कहा —

“न्यायसंगत, पूर्वानुमानित और रियायती जलवायु वित्त ही वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की मजबूत नींव है।”

भारत ने सभी देशों से आग्रह किया कि वे वित्तीय सहयोग और तकनीकी हस्तांतरण के माध्यम से विकासशील देशों की मदद करें ताकि वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सके।


📅 COP-30 सम्मेलन: जलवायु संवाद का अहम पड़ाव

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-30) का आयोजन 10 से 21 नवंबर 2025 तक ब्राजील के बेलेम में हो रहा है। यह सम्मेलन न केवल पेरिस समझौते के दस वर्ष पूरे होने का प्रतीक है, बल्कि 1992 के रियो अर्थ समिट की 33वीं वर्षगांठ को भी याद करता है।
भारत ने कहा कि यह अवसर जलवायु संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नए दृष्टिकोण और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता की याद दिलाता है।


🇮🇳 भारत की घरेलू उपलब्धियां और भविष्य की तैयारी

भारत ने सम्मेलन में अपनी घरेलू उपलब्धियों की जानकारी भी साझा की। अधिकारियों ने बताया कि भारत जल्द ही 2031 से 2035 की अवधि के लिए अपना तीसरा राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC 3.0) प्रस्तुत करेगा।
राजदूत भाटिया ने कहा कि भारत ने विकास के दौरान कम कार्बन उत्सर्जन बनाए रखने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं और अपने कई जलवायु लक्ष्यों को तय समय से पहले हासिल कर लिया है।


🔍 निष्कर्ष

भारत का ब्राजील के ‘ट्रॉपिकल फॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी’ में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होना, उसकी वैश्विक जलवायु नेतृत्व भूमिका को और मजबूत करता है।
भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि जलवायु न्याय तभी संभव है जब विकसित देश अपने वादों को निभाएं और विकासशील देशों को पर्याप्त सहयोग प्रदान करें।

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