दुष्कर्म के आरोपी को न्यायालय ने किया बरी

देहरादून:  साक्ष्यों व गवाहों के अभाव के चलते न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। बताया जा रहा है कि इस मामले में शिकायत करने वाली युवती स्वेच्छा से युवक के साथ सम्बन्ध रखती थी, जिस विहा पर साक्ष्यों के आधारे पर कोर्ट ने आरोपी को दोषमुक्त किया हैI

अभियोजन पक्ष के अनुसार देहरादून में ऑटोमोबाइल प्रतिष्ठान में काम करने वाली एक युवती के प्रतिष्ठान में ईसी रोड निवासी विशाल सिंघल अपनी बाइक की सर्विसिंग के लिए आता था। उसी दौरान अप्रैल 2018 के आसपास दोनों के बीच दोस्ती हो गई। एक रोज विशाल युवती के कमरे में आता है और उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाता है। युवती इसका विरोध करती है और चीखती-चिल्लाती है। जिस पर आरोपी युवक विशाल सिंघल उससे प्यार करने और शादी का वादा करता है। इस शादी को लेकर युवक की मां और बहन राजी हो जाते हैं। इसके बाद युवक कई बार शारीरिक संबंध बनाता है और दोनों घूमने भी जाते हैं। हालांकि, कुछ समय बाद ही युवक के परिजन और स्वयं युवक शादी की बात से मुकर जाते हैंI

युवती ने 20 अगस्त 2018 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के यहां प्रार्थना पत्र दिया और विशाल सिंघल पर बलात्कार का आरोप लगाया। जिसमें कहा गया कि विशाल ने शादी का झांसा देकर उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए हैं। युवक पर मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भी भेज दिया गया। इस क्रम में पुलिस की ओर से मुकदमे में चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई।

इस दौरान कोर्ट के समक्ष पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट, उनकी सहेली के बयान और पीड़िता के सीआरपीसी की धाराक-164 के बयान आदि साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। कोर्ट ने सभी पक्षों के साक्ष्य, बयानों और तर्कों पर गौर किया। बचाव पक्ष अधिवक्ता अमित तोमर द्वारा कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि घटना के समय युवती की उम्र 30 साल है, जबकि जांच अधिकारी को उम्र 26 वर्ष बताई गई है, साथ ही युवती के जिस कमरे में पहली बार जबरन शारीरिक संबंध बनाने, चीखने-चिल्लाने की बात कही गई है, वह किराए का कमरा है और उससे सटे अन्य कमरों में दूसरे किराएदार भी रहते हैं।

यह कैसे हो सकता है कि जोर-जबरदस्ती के समय किसी ने भी उसकी आवाज नहीं सुनी। सिर्फ यही नहीं, इस घटना के बाद क्यों पीड़िता बार-बार युवक से मिलती रही। इस अवधि में भी दोनों के बीच शारीरिक संबंध कायम होते रहे हैं। पीड़िता 20 अप्रैल 2020 को आरोपी विशाल सिंघल के विरुद्ध रेप की शिकायत दर्ज कराती है, जबकि इसी क्रम में आरोपी को जेल भेज दिया जाता है और उसके जमानत पर बाहर आने की स्थिति में वह आरोपी युवक से मुलाकात करती है। उसके साथ घूमने जाती है और दोनों साथ में युवती के जन्मदिन का केक काटते हैं।

लिहाजा, बात सिर्फ यह है कि दोनों के बीच रजामंदी के संबंध थे और बाद में किसी कारण विवाह की बात आगे न बढ़ पाने के कारण झूठी शिकायत दर्ज करा दी जाती है।

बचाव पक्ष के अनुसार शिकायत दर्ज कराने से तीन दिन पहले युवक ने एसएसपी को एक प्रार्थना पत्र देकर आशंका व्यक्त की थी कि युवती उसे झूठे केस में फंसा सकती है। युवती अपना भला-बुरा समझने में सक्षम है। पीड़िता की उम्र आरोपी से सात-आठ वर्ष अधिक है।

ऐसे में संभव है कि आरोपी के परिजनों ने शादी पर ऐतराज किया हो। लेकिन, इसका आशय यह नहीं है कि युवक ने उसे झांसे में रखकर शारीरिक संबंध बनाए। न्यायालय में केस विचारण के दौरान बचाव पक्ष की दलीले व साक्ष्यों के अभाव के चलते न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *