देहरादून: उत्तराखंड के 2.65 लाख छात्र-छात्राओं को सरकार ने टेबलेट देने का वादा किया था | लेकिन टैबलेट देने का वादा करने वाली सरकार इन छात्रों के स्कूलों में बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं करा पाई है। यू-डाइस की रिपोर्ट के अनुसार अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़, नैनीताल समेत कई जिलों के 3339 स्कूलों में आज तक बिजली ही नहीं पहुंच पाई है | जबकि, सरकार 709 स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं और 500 स्कूलों में वर्चुअल कक्षाएं संचालित करने की बात कह रही है। खस्ताहाल स्कूलों को ठीक करने के बजाय वहां के छात्रों के हाथ में टैबलेट थमा देने से शायद ही शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। इतना ही नहीं, चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों के मैनिफेस्टो तक में स्कूलों की दशा सुधारने का जिक्र नहीं है।
यू-डाइस (एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली) भारत सरकार द्वारा विकसित शिक्षा से संबंधित सूचना संकलन प्रणाली है, जिसकी रिपोर्ट के अनुसार अक्तूबर 2015 में राज्य में 455 स्कूलों में शौचालय नहीं था। मई 2016 में भी ऐसे स्कूलों की संख्या 423 रही। अप्रैल 2017 में 401, अक्तूबर 2019 में 367, अक्तूबर 2021 में 345 और नवंबर 2021 में 346 स्कूलों में शौचालय नहीं था। 6 सालों के इन आंकड़ों पर गौर करें तो कहीं से ये नहीं लगा कि स्कूलों में शौचालय बनाने के प्रयास किए गए हों। सरकारी स्कूलों को अपने यहां बिजली, पानी, शौचालय, रसोई गैस जैसी बुनियादी सुविधाओं की जानकारी समय-समय पर देनी होती है। जिससे कि संबंधित स्कूलों में ये सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।
इस पर अपर राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि जल जीवन मिशन को पानी विहीन स्कूलो की सूची उपलब्ध कराई गई थी। कई स्कूलों में पेयजल कनेक्शन लग चुका है। जहां तक बात है बिजली कनेक्शन की तो इसके लिए कवायद चल रही है। कई स्कूलों में सोलर सिस्टम से बिजली की व्यवस्था की गई है। यू-डायस की नई रिपोर्ट में स्थिति सही आ जाएगी।