मकर संक्रान्ति भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति को पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर प्रवेश करता तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर हो होता है।
इसके अलावा हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा, जिसको लेकर इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं।
वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहा जाता है।
मना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करने से घर में सुख और शांति आती है। गुड़ और तिल दान करने से कुंडली में सूर्य और शनि की स्थिति से शांति मिलती है। शनि की साढ़े साती से प्रभावित लोगों को इस दिन तांबे के बर्तन में काले तिल को भरकर गरीब को दान करना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन नमक का दान करने से भी शुभ लाभ होता है। मान्यता है कि गाय के दूध से बने घी का दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। अनाज दान करने से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न रहती हैंI
ज्योतिषविद नरेश मनोचा के अनुसार मकर संक्राति के दिन सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करने के साथ अपने पुत्र की राशि में भी प्रवेश करते हैंI जिसे शुभ माना जाता हैI उन्होंने बताया कि इस बार यह काफी शुभ रहेगा, व दुनिया भर में इससे बीमारियों का प्रकोप कम होने लगेगाI