मंत्रिमंडलीय उपसमिति की रिपोर्ट पर हंगामा, अधर में 22 हजार कर्मचारियों का भविष्य

-उपनल कर्मियों की वेतन बढ़ोत्तरी पर लिया था निर्णय

देहरादून: उत्तराखंड में मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट में रखने से अधिकारी न जाने क्यों परहेज कर रहे हैं। खास बात ये है कि कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों को रिपोर्ट पेश करने के लिए दबाव बनाना पड़ रहा है, लेकिन अधिकारी हैं कि वो फाइलों को आगे बढ़ाने में कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे हैं।

उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार के पास अब काम करने के लिए काफी कम समय बचा है और चुनाव नजदीक हैं। लिहाजा सरकार का ध्यान उन मुद्दों पर है, जिनका सरोकार ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ है। इनमें वे कर्मचारी भी शामिल हैं, जो हजारों की तादाद में है और एक बड़े वोट बैंक के रूप में माने जाते हैं।

लेकिन चुनाव से पहले शायद धामी सरकार की रणनीति को नौकरशाहों की लापरवाही पूरा नहीं होने देगी। ऐसा शासन में धूल फांकती फाइलें या यूं कहें कि फाइलें तैयार करने में सुस्त गति के कारण दिख रहा है। ताजा मामला उपनल कर्मियों की मांगों को लेकर बनाई गई मंत्रिमंडलीय उप समिति से जुड़ा है।

दरअसल, इस उप समिति ने काफी पहले उपनल कर्मियों की वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर निर्णय ले लिया था, लेकिन काफी वक्त बीतने के बावजूद भी अब तक इसकी रिपोर्ट कैबिनेट में नहीं रखी गई है। आलम ये है कि मंत्रिमंडलीय उप समिति की अध्यक्षता कर रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मामले पर हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में बात रखी है। इतनी ही नहीं उप समिति की रिपोर्ट कैबिनेट में नहीं रखे जाने को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की है।

मामले पर शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कैबिनेट की बैठक में उप समिति की रिपोर्ट न रखे जाने का मामला आया था, जिसके बाद कैबिनेट ने सख्त लहजे में अधिकारियों को जल्द यह रिपोर्ट पेश करने के लिए निर्देशित किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *