देहरादून: सुभारती ट्रस्ट से 30 करोड़ की धोखाधड़ी के वाद के चलते पूर्व दर्जाधारी मनीष वमार्, पत्नी नीतू वर्मा व उसके भाई संजीव वर्मा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखण्ड सरकार को आदेश दिए कि वह एक सप्ताह में एसीजेएम तृतीय देहरादून में तीनों की जमानत खारिज करने के लिए आवेदन करे।तीनों आरोपियें केे अदालत में उपस्थित न होने के कारण उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखण्ड सरकार को यह आदेश दिए हैं। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने एसीजेएम तृतीय को भी निर्देशित किया कि उक्त तीनों आरोपियों के खिलाफ 25 अगस्त से पहले फैसला लें।जिस पर निर्णय लेते हुए कोर्ट ने तीनों की जमानत निरस्त कर दी है। साथ ही कोर्ट ने तीनों के खिलाफ गैर जमानतीय वारंट भी जारी कर दिए है। अब इस मामले में तीनों का जेल जाना तय हो गया है।
उल्लेखनीय है कि सुभारती ट्रस्ट के न्यासी डॉ. अतुल कृष्ण ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी 2493/2021 दायर की जिसमें उच्चतम न्यायलय ने मनीष वर्मा, नीतू वर्मा व संजीव वर्मा को नोटिस भेजा, लेकिन तीनों आरोपियों ने नोटिस नहीं लिया।जिसके बाद उच्चतम न्यायलय ने तीनों को पुलिस के माध्यम से नोटिस जारी करवाया।
पुलिस ने जब मनीष वर्मा के घर जाकर नोटिस दिया तो आरोपी ने नोटिस लेने से मना कर दिया। जिसके बार उच्चतम न्यायलय ने मनीष वर्मा, नीतू वर्मा व संजीव वर्मा के खिलाफ फैसला देते हुए राज्य सरकार को कहा कि मनीष वर्मा, पत्नी नीतू वर्मा व उसके भाई संजीव वर्मा के खिलाफ एक सप्ताह में एसीजेएम तृतीय देहरादून के न्यायालय में इन तीनों की जमानत खारिज करने के लिए आवेदन करे।
उच्चतम न्यायालय ने एसीजेएम तृतीय को भी निर्देशित किया कि उक्त तीनों आरोपियों के खिलाफ 25 अगस्त से पहले फैसला लें।
जिसके बाद सरकार ने एसीजेएम तृतीय में तीनों आरोपियों की जमानत निरस्त करने के लिए आवेदन किया। 16 अगस्त को एसीजेएम तृतीय निहारिका मित्तल गुप्ता ने तीनों की जमानत निरस्त कर दी। एसीजेएम तृतीय में सुनवाई के दौरान भी तीनों आरोपी उपस्थित नहीं हुए, जिसके तहत कोर्ट ने तीनों के खिलाफ गैरजमानती वारंट भी जारी कर दिया है। इस मामले में अब तीनों आरोपियों का जेल जाना तय है।
क्या है पूरा मामला
गत 14 मार्च 2012 को सुभारटी ट्रस्ट न्यासी डॉ. अतुल कृष्ण ने थाना कैंट में एक रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमें कहा गया कि मनीष वर्मा, उनकी पत्नी नीतु वर्मा व भाई संजीव वर्मा ने अपनी 100 बिघा जमीन के नकली कागज दिखा कर पैसे ले लिए जब कागजों की जांच कराई गई तो 64.5 बीघे जमीन के कागज फर्जी पाए गए।
कैंट थाने की जांच में भी 64.5 बीघे जमीन के कागज फर्जी पाए गए। जिसके बाद थाने ने उक्त तीनो आरोपियों के खिलाफ 420, 467, 468, 471 व 406 में मुकदमा दर्ज करते हुए 19.5.2014 को आरोप पत्र एसीजेएम तृतीय के न्यायलय में पेश किया।