देहरादून। गोल्डन फॉरेस्ट की करोड़ों रुपए की संपत्ति बेचने के मामले में सहायक महानिरीक्षक निबंधन की तहरीर पर भूमाफिया राजीव दुबे और अन्य पर फिर थाना रायपुर में मुकदमा दर्ज किया है। इससे पूर्व तीन बार पहले भी राजीव दुबे पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव ने शिकायत दर्ज कराई है कि 27 फरवरी 2014 को एसआईटी को ईमेल के माध्यम से शिकायत मिली थी कि रायपुर स्थित ग्राम अस्थल की जमीन को राजीव दुबे (निवासी सेवक आश्रम देहरादून) ने साल 1995 में गोल्डन फॉरेस्ट ऑफ इंडिया कंपनी को बेच दी थी। साल 2016 में राजीव दुबे ने जमीन के मूल खातेदार सुरेंद्र सिंह (निवासी अस्थल रायपुर) के साथ मिलकर यह जमीन कुछ अन्य लोगों को बेचकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की।
एसआईटी ने दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि जमीन के विक्रय पत्र का पंजीकरण 25 फरवरी 2016 को उप निबंधक कार्यालय देहरादून में दर्ज है। राजस्व अभिलेखों में जमीन से सुरेंद्र सिंह का नाम खारिज कराकर क्रेता पूनम देवी निवासी अस्थल का नाम दर्ज करा दिया गया है। एसआईटी ने पूरे मामले की जांच के बाद रिपोर्ट राजस्व विभाग को सौंपी। उसके बाद तहरीर के आधार पर थाना रायपुर में राजीव दुबे और सुरेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
गोल्डन फॉरेस्ट की भूमि को बेचने के आरोप में 8 सितंबर को 6 के खिलाफ थाना रायपुर में मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमे में राजीव दुबे, विनय सक्सेना, रविंद्र सिंह नेगी, संजय, रेनू पांडे और अरुण कुमार को नामजद किया गया है। इन पर आरोप है कि भूमाफिया राजीव दुबे और अन्य आरोपियों ने गोल्डन फॉरेस्ट की अनुमति के बिना जमीन बेची गई है। एसआईटी की जांच में सामने आया था कि साल 1995 को उप निबंधक-2 कार्यालय में भूमि खसरा नंबर 27 और 28 कुल रकबा 2000 फीट आमवाला तरला परगना परवादून दर्ज कराई गई थी। इस इकरारनामे में पंजीकरण के बाद राजीव दुबे को अपना मुख्तारनामा नियुक्त किया, जिसका पंजीकरण उप निबंधक प्रथम देहरादून कार्यालय में दर्ज है। इस मामले में थाना रायपुर प्रभारी प्रदीप नेगी ने बताया है कि जांच में पाया गया है कि भूमि को बेचने का अधिकार और स्वामी नहीं होने के बाद भी आरोपियों ने फर्जीवाड़ा कर जमीन का सौदा किया है। गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन के मामले में राजीव दुबे पर एक बार फिर मुकदमा दर्ज हुआ है। इस मामले में दो मुकदमे राजीव दुबे के खिलाफ मसूरी में दर्ज हुए थे।