-एक सप्ताह में 53 दवा निर्माण इकाईयों का निरीक्षण
सोलन: हिमाचल प्रदेश में निर्मित की जा रही दवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने एवं दवाओं के नशीले पदार्थों के रूप में दुरूपयोग को रोकने के लिए विस्तृत मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गई है। प्रदेश के दवा निर्माताओं के लिए इस मानक परिचालन प्रक्रिया की अनुपालना आवश्यक है। यह जानकारी राज्य दवा नियन्त्रक नवनीत मारवाह ने दी।
नवनीत मारवाह ने कहा कि प्रदेश मेें दवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने एवं इनके दुरूपयोग को रोकने के लिए दवा उत्पादन एवं इनके विक्रय के समय पर विस्तृत पग उठाए जा रहे हैं। इनके माध्यम से यह सुनिश्चित बनाया जा रहा है कि राज्य में उत्पादित की जा रही दवाओं की गुणवत्ता विश्व स्तरीय हो और किसी भी स्तर पर इनका दुरूपयोग न हो सके।
राज्य दवा नियन्त्रक ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में जारी अधिसूचना के अनुरूप विस्तृत मानक परिचालन प्रक्रिया तैयार की गई है। इस एसओपी के अनुसार उत्पाद लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय दवा निर्माता को लाइसेंस प्राधिकारी के समक्ष दवा विक्रेता के साथ किया गया समझौता एवं दवा लाईसेंस प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
उद्योग स्थल से दवाओं को भेजते समय दवा निर्माता को स्थानीय दवा निरीक्षक, सम्बन्धित पुलिस अधीक्षक एवं उस राज्य के दवा नियन्त्रक को ईमेल के माध्यम से सूचित करना जरूरी है जहां दवाओं का विक्रय किया जाना है।
इससे सूचना के आदान-प्रदान में सहायता मिलती है एवं निरीक्षण व्यवस्था सुदृढ़ होती है। उन्होंने कहा कि मानक परिचालन प्रक्रिया के सम्बन्ध में दवा निर्माताओं को उचित जानकारी प्रदान की गई है ताकि अनुपालना में कोई कोताही न हो।
नवनीत मारवाह ने कहा कि दवाओं के सम्बन्ध में उत्पादकों को प्रदान की जा रही अनुमतियों की नियमित समीक्षा की जाएगी और यह सुनिश्चित बनाया जाएगा कि दवाओं का दुरूपयोग न हो। उन्होंने कहा कि औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम की अनुपालना भी सुनिश्चित बनाई जा रही है।
राज्य दवा नियन्त्रक ने कहा कि मानक परिचालन प्रक्रिया की अनुपालना के साथ-साथ नियमित निरीक्षण भी किए जा रहे हैं। प्रदेश में औचक एवं नियमित निरीक्षण के लिए दवा निरीक्षकों द्वारा कार्य किया जा रहा है।
इस कार्य में आवश्यकतानुसार पुलिस की सहायता ली जा रही है। उन्होंने कहा कि गुणवत्तायुक्त दवा उत्पादन सुनिश्चित बनाने एवं दवा संयोजन का नशीली दवा के रूप में दुरूपयोग रोकने के लिए ऐसे दवा निर्माताओं की जानकारी पुलिस के साथ साझा की जाती है।
उन्होंने कहा कि दवा गुणवत्ता एवं दवा संयोजन के नशीली दवाओं के रूप में दुरूपयोग को रोकने के लिए मार्च 2019 से राज्य में प्रदेश एवं जिला स्तर पर संयुक्त कार्यबल गठित किया गया है। इस कार्यबल में प्रदेश पुलिस, नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो तथा प्रदेश दवा नियन्त्रण प्रशासन के अधिकारियों को सम्मिलत किया गया है। यह कार्यबल ऐसे सभी दवा निर्माता स्थलों का निरीक्षण सुनिश्चित बना रहा है जहां दवा संयोजन का दुरूपयोग हो सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में दवा नियन्त्रक द्वारा औचक निरीक्षण के लिए 05 टीमें गठित की गई हैं। इन टीमों ने सोलन, ऊना, सिरमौर और कांगड़ा जिलों में गत एक सप्ताह में 53 दवा निर्माता इकाईयों का निरीक्षण किया।
43 मामलों में किसी भी तरह का दुरूपयोग नहीं पाया गया। उन्होंने कहा कि 10 मामलों में जांच जारी है। इनमें से 02 मामलों में दवा निर्माण रोकने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अन्य 02 मामलों में भण्डार सील कर दिया गया है तथा 06 अन्य मामलों में रिकाॅर्ड दिखाने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
नवनीत मारवाह ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल को सर्वश्रेष्ठ दवा निर्माता हब बनाने के लिए कृतसंकल्प है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दवा नियंत्रक के माध्यम से आवश्यक पग उठाए जा रहे हैं।